दीपक बुंदेला लेखक, निर्माता-निर्देशक टीवी सीरियल लेखन और फ़िल्म में 20 साल का अनुभव साथ ही नॉवेल, कहानियां और 4000 से ज्यादा शेरों शायरिया सोशल मिडिया पर उपलब्ध हैं नए लेखकों के लिए "मेरी लेखनी' www.merilekhani.in जो arymoulik publication के सहयोग से वेबसाइट का संचालन किया जा रहा हैं जिसमे हम नए लेखकों के लिए रॉयलटी युक्त ebook उपलब्ध कराते हैं.

वो कहते तो बहुत हैं कि याद बहुत करते हैं मुझे
गर कोशिश करें वो मिलने की तो मिल भी जाऊं मैं

मिली जो नज़र से नज़र का ना मिला कोई किनारा हैं
ज़िन्दगी भर यादों में रहे यही तो बस इक वो सहारा हैं

-Deepak Bundela AryMoulik

जब मचल जाए ज़िन्दगी तो सम्हल जाना तुम
जैसे जैसे बदले ये ज़माना तो बदल जाना तुम

-Deepak Bundela AryMoulik

बीत जायेगी ये दौर-ए-ज़िन्दगी की दास्तां भी
बाद मरने के ही सबका सुकूं-ए-दौर आएगा...!!

हर रोज पीछा अपना करने को निकलता हूं
कहां जाता हूं कहां से लौट कर आ जाता हूं

-Deepak Bundela AryMoulik

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लाशें कई मिली थी मुझको बोलती सी
वहां आने जाने वालों को टटोलती सी
राज वे-दर्द ज़माने के कुछ खोलती सी
मशीनी आदमियों के कानों बोलती सी
मरे तो हम हैं यहां तुम क्यों मरे हुए हो
देखी हैं लाशें ऐसी भी मैंने बोलती सी

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वो ज़माना भी अब बहुत दूर छोड़ आए हैं..!
इस ज़माने की धार में ज़ख्म बहुत खाए हैं..!!

नजर ए लफ्ज़ जो जिस्म में उतरे तो इक इश्क़ की कहानी हुई
मोहब्बत का जला ए चराग ए रात तो जिस्म की जवानी हुई
इश्क़ की आड़ में जिस्म ए मोहब्बत हुई फिर बात इश्क़ की पुरानी हुई

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मातृ भारती

-Deepak Bundela AryMoulik