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@seemashivhare.771271
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मै भोपाल मध्यप्रदेश से ,मेरी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं..."वो नीम का पेड़" "हिन्दी और सिनेमा" एवं "हम तिरंगा लेकर आऐंगे."बाल कविता संग्रह
https://www.facebook.com/rachnakaar.delhi/videos/1198571360522106/?sfnsn=wiwspmo
https://www.facebook.com/rachnakaar.delhi/videos/1198571360522106/ ग़ज़ल सुने जाम पर जाम भरने लगे आज कल वो किसे याद करने लगे आजकल
अपना गाल दूसरे थप्पड़ के लिए आगे करने से पहले.. उसकी आॅंखों में झांककर ज़रा नियत समझ लेना ...l सीमा शिवहरे सुमन
गीत जागी तृष्णा इन अधरों पर महक उठी मन की कस्तूरी..! प्रियतम की चंचल चितवन से मिटी जिया की प्यास अधूरी..!! सागर मध्यम उठें हिलोरें उस मधुर मिलन की आस लिए..! सरिता ढूॅंढ रही है पथ को पत्थरों संग संवाद किए..! नदी प्रीत में खारी होने तय कर आई मीलों दूरी..! जागी तृष्णा इन अधरों पर महक उठी मन की कस्तूरी..! साॅंसें हो गई महक मोगरा चंदन सम अंग -अंग हुआ..! गीत सुनाए गुप -चुप धड़कन मौन हो मुखरित, मृदंग हुआ..! मन वीणा के तार जुड़े तो आज हुई हूॅं साजन पूरी..! जागी तृष्णा इन अधरों पर महक उठी मन की कस्तूरी..!! मान सरोवर के हंसों सा युगल रूप का देखा सपना..! सिर्फ चुगेगें सच्चे मोती संग प्रीत की माला जपना...! दुग्ध पान कर तज देंगे जल बने अपन जीवन सिंदूरी जागी तृष्णा इन अधरों पर महक उठी मन की कस्तूरी..!! सीमा शिवहरे सुमन
https://www.facebook.com/rachnakaar.delhi/videos/1198571360522106/ इस लिंक पर आज के हालातों पर मेरे एकदम नए गीत और ग़ज़लें सुने...और शेयर जरूर करें।
ताजमहल बनवाने की चाहत न रख.. किसी को खबर ही नहीं ताजमहल बनाने वाले अक्सर, दिल में कई मुमताज़ लिए फिरते हैं..। सीमा शिवहरे सुमन
सीमा शिवहरे सुमन ग़ज़ल मेरी ज़ुबां पे तुम्हें ऐतवार है कि नहीं जनाब-आली कहो हमसे प्यार है कि नहीं नशा हुआ ही नहीं आपको, कभी पीकर पिया जो जाम नज़र से खु़मार है कि नहीं तड़प रहे हैं उन्हें एक बार मिलने को उन्हें भी मेरी तरह इंतज़ार है कि नही ज़रा सी चोट लगी तिलमिला गए साहिब दिया है आपने क्या ,कुछ शुमार है कि नहीं फ़िदा हैं लोग शगुन बाकमाल आया है ज़रा सा देख तो ले चंद्रहार है कि नहीं वहा के लोग लहू हो गए अमर सारे तेरी वतन के लिए जाॅंनिसार है कि नहीं मेरे हबीब ज़रा देखकर चला खंज़र गया जिगर के अभी आर- पार है कि नहीं सीमा शिवहरे सुमन
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=694056491208241&id=100018116890154&sfnsn=wiwspmo&extid=66BK21YgVOr8FnwK
हिन्दी जरूरी है भारतीय सभ्यता बचाए रखने के लिए । हिन्दी जरूरी है अपनों को अपने ही करीब बनाए रखने के लिए...।। सीमा शिवहरे 'सुमन'
मगरूर दरख्तों सा वो आंधियों में उजड़ता चला गया.... जीना चाहती थी मैं, इक लचीली डाली सी झुक कर ही रह गई..l सीमा शिवहरे सुमन
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