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संगठन मंत्री अखण्ड पत्रकार वेलफेयर एसोसियेशन उत्तर प्रदेश एवं संपादक सावन साहिल मासिक पत्रिका, न्यूज सावन साहिल वेव पोर्टल व लाइव टीवी चैनल |
एक पत्नी के अतिरिक्त कोई सच्ची प्रेमिका नही हो सकती | प्रेमिका का वास्तविक अर्थ ही पत्नी है |
तुम खुश हो, मुझे और क्या चाहिए, खुश रहो सुख तुम्हारे सलामत रहे , यह हाथ दुआ में उठते मेरे | जो करती है वो ,कुछ भी संशय नही , जो लायक है जिसके मिले भी वही , मै पाकर भी पाती नही जानती , मै होकर भी होती नही जानती , मुझसे ज्यादा है मुझको वो पहचानती | इन शब्दो का मेरे कोई मोल है , बूझे किसी को , कोई तोल है | या भ्रम है कोई मेरा मुझसे ही है, है शिकायत कहीं, आप ही तोड़ है |
रुठा है ! रूठकर बैठा है , कुछ इस तरह से , न मिलते शब्द मनाऊँ किस तरह से , रो रहा है अन्तर , बाहर विरान है | मन ही सुकून , मन से ही आराम है, मृत हूँ अनुपस्थिति में तुम्हारे ये जीवन झूठा , केवल नाम है | मन उदास है
रक्षा बन्धन की हार्दिक शुभकामनाएं | मेरे वीर दी राखी मेरे द्वारा निर्मित , मानती हूँ इसमे खूबसूरती कम होगी मगर भावना अधिक है | मेरे भैय्या गणपति और ठाकुरजी के लिए |
मेरी बुद्धि भावना को बहला ले जाये , तुम सामने खड़े हो , पहचान न पाये तब भी, मुझे विकल्प मे मत रखना , तब तक मुझे खुद मे जकड़े रखना जबतक तुम्हे समझकर ,तुममे ही मिल जाऊँ | कविता (अंश से)
सुन लो! हृदय मे हो ! हृदय में हूँ तो !! तुमसे ही हैं पर्व ये सारे , तुमसे ही है सावन , तुम हो तन मे , तुम हो मन में, रोम - रोम जीवन में, जहाँ बिठाया ,बैठे हो, नही छू कोई, तुमको पाया | दिखला लो बाहर तुम नाटक , बन्द कर लिया तुमने फाटक , ऐसा क्या अपराध किया? बुरी अगर मै मिले ही क्यों थे , मिलकर तुमसे मै बुरी रही क्या? पतितपावन हो जो तुम , मुझको पतित ही छोड़ दिया क्या ? नही समझ पाई हूँ छवि को , जिस छवि ने मुझको है गहा , मुझे दिखा दो ! मुझे बता दो !! किस छवि में आ मुझें पढ़ा | हर मूरत में तुमको देखूँ , आखिर ! वह सूरत है क्या ? मगर बताना हाथ पकड़कर , जबतक न समझूँ , मुझे जकड़कर, देना मत केवल संकेत मुझे , क्षुद्र समझ है , सीमित परिधि , मगर भावना अलग नही | कविता (अंश से)
माँ .............🙏 माँ................🙏 माँ..................🙏 माँ.....................♥️🙏
"तुमने वही किया जो तुमने चाहा , मैने वही किया जो तुमने चाहा | जीवन है ही कहाँ , निराधार साँसो का चलना साँसो की मर्जी से ? नाहक दोषो से बहुत कोसा है खुद को, हकीकत अब समझने लगी हूँ |" #जो_दिखरहा_है_वह_नही | #हमारे_हाथ_हम_नही |
"आपका मार्ग सही होना चाहिये चाहे आपकी सारी पूँजी(खुशियाँ) समाप्त हो जाये | " "एक दिन सबकुछ छूटना ही है बेहतर हम सही के साथ खड़े होकर सबकुछ अपने हाथ से लुटा दे |" #जीवन_सूत्र
आपकी अनुपस्थिति यदि किसी के जीवन की सुन्दर मुस्कान हो , वहाँ से पलायन ही बेहतर चाहे वह घर आपका आखिरी ही हो | #जीवन_सूत्र
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