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@neerjapandey.937491
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ना लगा मरहम अब मेरे जख्मों पर -ए -ज़ालिम, की अब तो दवा भी दर्द देती है.. .... संपर्क करें pandeyneerja1910@gmail.com
हमेशा तो नही होता, मधुर संगीत सा जीवन। कभी तपिश तप्त रेत की भी सहनी पड़ती है। हमेशा तो नही होती रात पूनम की, अमावस की स्याह रात भी तो है आती। साध कर मन चलो ऐसे.. सुख दुख हो बराबर जैसे।
एक अकेला दुनिया का मेला, खुद को कैसे संभालेगा..? लू के गरम थपेड़ों से डर कर, क्या वो अपने पथ से डिग जायेगा..? या धीर वीर बन कर.. सारे तुफानों को सह कर, अपनी मंजिल को पाएगा।
ऐसा तो पहली बार नही है, आहत मन पहली बार नही है। कुछ अपने और परायों से, स्वाद चखा कई बार यहीं है। फिर मन तू क्यों रोता है...? ऐसा तो अक्सर होता है। निर्मेश
स्वाद जिंदगी का भूल सा गया, चाहतों की दौड़ में मशगूल कुछ ऐसा हुआ। ना फिक्र रिश्तों की रही, ना खयाल अपनों का। बस गुम है गुलाबी कागजों की सरसराहटों में।
Neerja Pandey लिखित उपन्यास "पल पल दिल के पास" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें https://www.matrubharti.com/novels/33739/pal-pal-dil-ke-paas-by-neerja-pandey
बड़े प्रतीक्षा के बाद शुभ नवरात्रि आई, हर दिन तेरी पूजा अर्चना में हमने ये घड़ियां बिताई। दिन सात अब बीत गए है, बस दो दिन ही बाकी है, दो दिन तेरी मां सेवा कर लूं, कुछ बातें मैं दिल की कर लूं, फिर दे आशीष मां चली जायेगी। अगले नवरात्रि तक मेरी बाट जोहना ये अपने भक्तों से कह जायेगी। जय मां शेरा वाली 🙏🙏🙏
दिल की बात जुबां तक आती नही, क्यों तुमसे कुछ कहा जाता नही...? मेरी खामोशियों को समझ लो ना.. तुम, अब जज़्बातों को और पोशीदा किया जाता नही। -Neerja Pandey
जब भी परिवर्तन की खातिर कोई अलख जगाता है। घोर घने अंधियारे में जब कोई दीप जलाता है मंजधारे में डूबती नैया जब कोई पार लगाता है तब अदना सा वो इंसान मसीहा बन जाता है क्या दरकार उसे थी तीन तलाक़ हटाने थी हलाला प्रेमी मौलानाओं के खिलाफ जाने की क्या क्य भुगता क्या क्या गुजरी ये पूछो उस नारी से तीन तलाक़ और हलाला झेली उस बेचारी से घोर घनेरे अंधियारे में जब कोई दीप जलाता है मझधार में डूबती नैया जब कोई पार लगाता है तब अदना सा वह इंसान मसीहा बन जाता है मैं क्या बोलूं क्या बतलाऊ जिसने किया जीवन समर्पित देश की खातिर मां बहन पत्नी और भाई छोड़ा देश की खातिर क्या समझेंगे क्या जानेंगे ये पीढ़ी दर पीढ़ी सत्ता भोगने वाले ये सत्ता के लोलुप नेता देश जलाने वाले, भोली भाली जनता को भड़काने वाले, मैं ना कार्य कर्ता भाजपा की ना आलोचक कांग्रेस की, मैं एक नारी सीधी साधी घर बार चलाने वाली।
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