दिमाग बनाम दिल

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मंहगू, छोटे भाई सहतू को जैसे ही हमेशा की तरह थाने से छुड़वा कर लाया ,घर वाले पिल पड़े..पत्नी बोली.."तुम्हारे तो बीबी बच्चे हैं नही..बस जो कमाओ सब इन्हीं के ऊपर उड़ा दो"महंगू कोई जवाब ना देकर नल पर हाथ मुह धोने चले गये थे..महंगू के पिता जब मरने को हुये थे तो महंगू को अपने पास बुलाकर बोले थे.."महंगू तुम बड़े हो..सहतुआ नालायक निकल गया..उसे अपने भविष्य की चिन्ता नही है..उसे भाई की तरह नही अपने बेटे जैसा रखना.."बाप की अन्तिम इच्छा पूरी करना मंहगू के लिये चारोधाम के पुण्य जैसा था..नालायक सहतू को ढर्रे पर लाने के लिए