Hindi Poem videos by MB (Official) Watch Free
Published On : 14-Sep-2020 10:00pm831 views
प्रिय साथिओ,
पूरा विश्व करोना के संकट से जूझ रहा है। कोई देश इसके प्रकोप से बचा नहीं है। अभी थोड़ा-थोड़ा लॉकडाउन खुला है लेकिन खतरा टला नहीं है।
आज आपके साथ एक छोटा सा वीडियो साझा कर रही हूँँ जिसमें मेरे हिंदी के तीन विदेशी छात्र हैं जो यहाँँ भारत में मेरे हिंदी के विद्यार्थी थे भारतीय भाषा संस्कृति संस्थान, गुजरात विद्यापीठ में। मैंने अपने पुराने सभी छात्रों को ईमेल और व्हाट्सएप से लॉकडाउन में संपर्क किया, उनका और उनके परिवारों का हाल जानने की कोशिश की। सभी को सुखद आश्चर्य हुआ कि उनकी हिंदी की शिक्षिका ने इतने समय बाद भी उन्हें याद किया है और संकट की घड़ी में उनका हाल पूछा है। उनके जवाब आए, मन को बहुत शांति मिली। तब विचार आया – जैसे मैं उन्हें हिंदी कविता “मछली जल की रानी है” सिखाती हूँँ और वह अपने लहजे में नर्सरी के बच्चों की तरह गाते हैं तो बहुत आनंद आता है अपनी भाषा को विदेशी जमीन में लहराते हुए देखकर। ऐसा मन में विचार आया कि संकट की घड़ी में ऐसी कोई कविता लिखुँँ जिससे वे भी अपने देश को जोड़ सकें, तब मैंने लॉकडाउन में ऐसे ही एक छोटी सी कविता लिखी – “दर फिर से खुलेंगे”। इसका अंग्रेजी अनुवाद भी मैंने किया – “Doors Will Open Again” और विदेशी छात्रों को भेज दी और कहा अगर संभव हो तो अपने देश की भाषा में भी अनुवाद करें और इसका दोनों भाषाओं में वीडियो बनाकर मुझे भेज दें।
जिसमें शुन हसेबे (Shun Hasebe) का वीडियो सबसे पहले आया जापान से हिंदी और जापानी भाषा में। उसके बाद पोलैंड से बैयता नायकर (Beata Naicker) ने भेजा हिंदी और पोलिश भाषा में। जब लॉकडाउन शुरू हुआ तब वह भारत में, गुजरात विद्यापीठ में मुझसे हिंदी पढ़ रही थी। बादमें शेष कक्षाएँ ऑनलाइन समाप्त की गईं। तीसरा वीडियो सिमोन बोलज़ (Simon Bolz) ने जर्मनी से हिंदी और जर्मन भाषा में भेजा था। हिन्दी और अंग्रेजी में मैंने पढ़ा है।
साथियों सभी इस संकट से धीरे-धीरे निकल जाएंगे। हम भारतीय मानते हैं वसुदेव कुटुंबकम में – सारा विश्व एक परिवार है। मुुझे दो दशक से अधिक विदेशी छात्रों को हिंदी पढ़ाते हुए हो गए हैं। आज शिक्षक दिवस पर छोटा सा तोहफा आपको भेंट करती हूँँ। आशा है आप सब को अच्छा लगेगा। मेरी छोटी बेटी सुकन्या संगर ने इस वीडियो को बड़े जतन से बनाया है।
मैंने इस कविता को हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखा है ताकी विश्व भर में मेरे सब छात्र और अन्य लोग इसे पढ़ सकें और एक शिक्षक के भाव को समझें इस
कविता और वीडियो के माध्यम से।
हिन्दी दिवस की अनंत शुभकामनाएँँ,
-डॉ.अंजना संधीर
दर फिर से खुलेंगे
दर फिर से खुलेंगे,
हम फिर से मिलेंगे।
खुल जायेगी बंदिश,
हम पंछी से उड़ेंगे।
फिर घर से निकलेंगे,
दिल के दिए जलेंगे।
हारेगा ये करोना,
मिल कर दुआ करेंगे।
दर फिर से खुलेंगे,
हम फिर से मिलेंगे।
-डॉ.अंजना संधीर
पूरा विश्व करोना के संकट से जूझ रहा है। कोई देश इसके प्रकोप से बचा नहीं है। अभी थोड़ा-थोड़ा लॉकडाउन खुला है लेकिन खतरा टला नहीं है।
आज आपके साथ एक छोटा सा वीडियो साझा कर रही हूँँ जिसमें मेरे हिंदी के तीन विदेशी छात्र हैं जो यहाँँ भारत में मेरे हिंदी के विद्यार्थी थे भारतीय भाषा संस्कृति संस्थान, गुजरात विद्यापीठ में। मैंने अपने पुराने सभी छात्रों को ईमेल और व्हाट्सएप से लॉकडाउन में संपर्क किया, उनका और उनके परिवारों का हाल जानने की कोशिश की। सभी को सुखद आश्चर्य हुआ कि उनकी हिंदी की शिक्षिका ने इतने समय बाद भी उन्हें याद किया है और संकट की घड़ी में उनका हाल पूछा है। उनके जवाब आए, मन को बहुत शांति मिली। तब विचार आया – जैसे मैं उन्हें हिंदी कविता “मछली जल की रानी है” सिखाती हूँँ और वह अपने लहजे में नर्सरी के बच्चों की तरह गाते हैं तो बहुत आनंद आता है अपनी भाषा को विदेशी जमीन में लहराते हुए देखकर। ऐसा मन में विचार आया कि संकट की घड़ी में ऐसी कोई कविता लिखुँँ जिससे वे भी अपने देश को जोड़ सकें, तब मैंने लॉकडाउन में ऐसे ही एक छोटी सी कविता लिखी – “दर फिर से खुलेंगे”। इसका अंग्रेजी अनुवाद भी मैंने किया – “Doors Will Open Again” और विदेशी छात्रों को भेज दी और कहा अगर संभव हो तो अपने देश की भाषा में भी अनुवाद करें और इसका दोनों भाषाओं में वीडियो बनाकर मुझे भेज दें।
जिसमें शुन हसेबे (Shun Hasebe) का वीडियो सबसे पहले आया जापान से हिंदी और जापानी भाषा में। उसके बाद पोलैंड से बैयता नायकर (Beata Naicker) ने भेजा हिंदी और पोलिश भाषा में। जब लॉकडाउन शुरू हुआ तब वह भारत में, गुजरात विद्यापीठ में मुझसे हिंदी पढ़ रही थी। बादमें शेष कक्षाएँ ऑनलाइन समाप्त की गईं। तीसरा वीडियो सिमोन बोलज़ (Simon Bolz) ने जर्मनी से हिंदी और जर्मन भाषा में भेजा था। हिन्दी और अंग्रेजी में मैंने पढ़ा है।
साथियों सभी इस संकट से धीरे-धीरे निकल जाएंगे। हम भारतीय मानते हैं वसुदेव कुटुंबकम में – सारा विश्व एक परिवार है। मुुझे दो दशक से अधिक विदेशी छात्रों को हिंदी पढ़ाते हुए हो गए हैं। आज शिक्षक दिवस पर छोटा सा तोहफा आपको भेंट करती हूँँ। आशा है आप सब को अच्छा लगेगा। मेरी छोटी बेटी सुकन्या संगर ने इस वीडियो को बड़े जतन से बनाया है।
मैंने इस कविता को हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखा है ताकी विश्व भर में मेरे सब छात्र और अन्य लोग इसे पढ़ सकें और एक शिक्षक के भाव को समझें इस
कविता और वीडियो के माध्यम से।
हिन्दी दिवस की अनंत शुभकामनाएँँ,
-डॉ.अंजना संधीर
दर फिर से खुलेंगे
दर फिर से खुलेंगे,
हम फिर से मिलेंगे।
खुल जायेगी बंदिश,
हम पंछी से उड़ेंगे।
फिर घर से निकलेंगे,
दिल के दिए जलेंगे।
हारेगा ये करोना,
मिल कर दुआ करेंगे।
दर फिर से खुलेंगे,
हम फिर से मिलेंगे।
-डॉ.अंजना संधीर
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