भले रूठ कर शाप दे, शाप सहने का वरदान दो

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भले रूठ कर शाप देते रहो प्रिय, मगर शाप सहने का वरदान दे दो। अभी तो बहुत देर है जबकि तम चीर सूरज धरा पर उजाला करेगा, अभी तो बहुत देर है जबकि शशि दीप नभ में सितारों के बाला करेगा ॥ प्रिया के कपोलों पे संदेश प्रिय का सिंदूरी शरम जबकि ढाला करेगा, पिपासित अधर के चसक में किसी का विचुम्बन मधुर मत्त हाला करेगा॥ मगर प्रात उन्मन हुई सांझ जोगन मिलन से सुखद प्राण का साश चिंतन, क्षितिज पर रहो निष्करूण पर तुम्हें देख जी लूं मुझे एक अरमार दे दो॥ भले रूठ कर शाप देते रहो