नाम का महत्व

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"नाम का महत्व" " हाँ - हाँ ठीक है,तू चिंता मत कर,आज मैं तुझे इस छिलके रूपी शरीर से मुक्त करके ही रहूंगी...!"ऐसा लग रहा था जैसे वात्सल्य भाव में गीता आज फिर रसोईघर में किसी से बात कर रही थी..!तभी पीछे आँगन से रमेश(भाई) की आवाज़ आई,- "क्या बात है गीता ..!! .. आज फिर से रसोईघर में किससे बातें हो रही है..?!" गीता रसोईघर से बाहर निकलकर सकुचाते हुए बोली ;- "भईया ..वो...ओ... मटर..!! .. I ..मटर...!!" थोड़ी मुस्कराहट और अचंभित होकर रमेश बोला..- .. "भला मटर से भी कोई बातें करता है क्या?!" "..भईया वो,, रसोईघर के कोने