इंद्रधनुष सतरंगा - 16

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‘‘घोष बाबू!’’ आतिश जी ने लगभग हाँफते हुए अंदर प्रवेश किया, ‘‘एक ज़रूरी काम से निकल रहा था, आपका ध्यान आया तो भागा आया।’’ ‘‘क्यों, ऐसी क्या बात हो गई?’’ घोष बाबू ने पूछा। ‘‘अरे---भूल गए?’’ ‘‘क्या?’’ घोष बाबू ने दिमाग़ पर ज़ोर डालने की कोशिश की। ‘‘आज सत्ताइस तारीख़ है।’’ ‘‘तो---?’’