Hindi Story videos by Yayawargi (Divangi Joshi) Watch Free

Published On : 29-May-2020 04:53pm

881 views

दिन ओर रात के बिच एक शाम भी होती है जिसे हम रोज़मरा ज़िंदगी कि मे कहिं भुलाए बेठे है
दिन का वो समय जब कुदरत अपनी चित्रकारी दिखाती है, अलग अलग रंग आसमान के केनवास पे उधेल के हमारे सामने एक मास्टर पिस रखती है ओर हमे वो आँखो मे संजोने का भी समय नही मिलता,

बस एक एसा हि कुछ वृन्दवादन गार्डन मे कही शाम ढल रही थी, ये जगह अपने नृत्य करते फ़व्वारो के लिए प्रख्यात थी, वेसे ये डेम के निचे बने गार्डन कि कहानी भी काफ़ि रोचक है समय मिले तो एक बार ज़रूर गूगल किजियेगा ,

दिन भर कि थकान ये मंत्रमुग्ध करने वाली सांज ने हर लिया था, पानी कि वजह से चारो ओर ठंडक थी, लोग नौका विहार कर रहे थे बच्चे खेल रहे थे, कपल आनेवाले जीवन के सपने बुन रहे थे ओर मे एक घास के टिले पे बेठीे दिन से शाम ओर शाम से रात होती देख रही थी,


आनेवाले कुछ दिनो मे मेरी आखे मेरी ज़िंदगी के कुछ सबसे हसीन नज़ारे देखने वाली थी,
रात को हमे गेस्ट रूम छोडा गया ओर दूसरे दिन सुबह पांच बजे हमे बंडीपुर नेशनल जंगल ओर मधुमलै होते हुए उटी जाना था,

कोइ नये शहर आए हो ओर वहा हमारी अलगारी रखड्पट्टी ना हो ये तो असंभव है थके थे फ़िर भी फ़्रेश हो के सोचा गेस्ट रूम के आसपास के एरिया मे एक चक्कर लगा के आते है कुछ मिल जाए तो खा भी लेंगे वेसे हम घर से तो पुरी एक बेग भर के थेपला, पुरी, मोनथाल, मगज, चेवडा, बन, आम काफ़ि कुछ लेके गए थे क्योंकि सुना था के यहा वेजेटेरिअन खाना मिलने मे थोडी दिक्कत होती है फ़िर भी आज मन #mysore मे मैसुर ढोसा खाने का था वो तो बाद मे पता चला के ढोसा सिर्फ़ सुबह के नास्ते मे मिलता है !

वहा कि नाइट लाइफ़ देखी कुछ नया नही था किसी भी बड़े शहरों कि तरह हि लोग ओफ़िस से घर जा रहे थे रास्तों पे चाट वगेरा मिल रही थी वही किसी छोटु से रेस्ट्रां मे अलग अलग तरह कि तिन इडली का ओर्डर दिया ओर मजे से चट कि, मुझे जो लोग स्ट्रीट फ़ूड पसंद नही करते उन्से बडी चिड है इस बात को लेके, अरे असल मे खाने ये ही तो है किसी भी कल्चर को पास से जानने का सबसे बेस्ट तरिका!


हम तिनो थके तो थे ही तो बस पेट भरते ही आंख लग गयी ओर कब सुबह हो गयी, पता हि नहीं चला !

अब उचे निचे रास्तो से जाना था मंजिल कि बात फ़िलहाल नही करते!
😊
@yayawargi

0 Comments

Related Videos

Show More