Niyati. book and story is written by Seema Jain in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Niyati. is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
नियति - Novels
by Seema Jain
in
Hindi Fiction Stories
शिखा की सबसे प्रिय सखी दीपा उसे बार-बार अपनी बहन रिया की शादी के लिए इंदौर चलने का आग्रह कर रही थी । शिखा जानती थी अगर विवाह समारोह भोपाल में होता तो उसकी मां कभी इनकार नहीं करती लेकिन दूसरे शहर जाने की आज्ञा वे नहीं देंगी । वह दीपा को समझाने की निरंतर कोशिश कर रही थी पर दीपा मान नहीं रही थी। मन तो शिखा का भी बहुत था पर मां को समझाना नामुमकिन था । मां के अलावा उसकाऔर कोई नहीं था, इसलिए मां की इच्छा का मान रखना आवश्यक समझती थी । लेकिन दीपा भी हार मानने वाली नहीं थी अपने माता पिता को लेकर शिखा के घर आ धमकी।
शिखा की सबसे प्रिय सखी दीपा उसे बार-बार अपनी बहन रिया की शादी के लिए इंदौर चलने का आग्रह कर रही थी । शिखा जानती थी अगर विवाह समारोह भोपाल में होता तो उसकी मां कभी इनकार नहीं करती ...Read Moreदूसरे शहर जाने की आज्ञा वे नहीं देंगी । वह दीपा को समझाने की निरंतर कोशिश कर रही थी पर दीपा मान नहीं रही थी। मन तो शिखा का भी बहुत था पर मां को समझाना नामुमकिन था । मां के अलावा उसकाऔर कोई नहीं था, इसलिए मां की इच्छा का मान रखना आवश्यक समझती थी । लेकिन दीपा भी हार मानने वाली नहीं थी अपने माता पिता को लेकर शिखा के घर आ धमकी।
जिस कमरे में शिखा और दीपा ठहरे थे वह रोहन का ही था। अलमारियों में ताला नहीं लगा था, सामान करीने से लगा हुआ था । दीपा को नींद नहीं आ रही थी वह आंखे बंद करके लेटी हुई ...Read More। लेकिन शिखा नजरें घुमा घुमा कर कमरे की प्रत्येक वस्तु को ध्यान से देख रही थी। वस्तुओं को वह रोहन से जोड़कर देख रही थी, उसके व्यक्तित्व को एक आकार देने की कोशिश कर रही थी। दीपा की बातों से उसे यह तो समझ आ गया था रोहन मेहनती और पक्के इरादों वाला नौजवान है ।
शिखा को नहीं पता वह कैसे सूटकेस लेकर कमरे से बाहर आई । घर में सन्नाटा था रिया को विदा करके सब बेसुध सो रहे थे । वह चुपचाप घर से बाहर निकल गई । ठंडी ठंडी हवा शरीर ...Read Moreचुभ रही थी लेकिन उसे कुछ महसूस नहीं हो रहा था । उसे नहीं याद वह कितना चली, कब उसे एक ऑटो दिखाई दिया और कब उस पर सवार होकर बस स्टैंड पहुंची। पौ फटने वाली थी, पहली बस भोपाल के लिए रवाना होने को तैयार थी। वह टिकट लेकर उसमें बैठ गई । होश उसे तब आया जब उसने अपने घर की घंटी दबाई।
शिखा के घर के दरवाजे के आगे तीन चार सीढ़ियां थी । दीपा उन्हीं पर बैठकर सुबकने लगी, रोहन सकते में था। कुछ पल खड़ा रहा है फिर तेज कदमों से चलता हुआ निकट के रखे गमले को ठोकर ...Read Moreहुआ गाड़ी में जाकर बैठ गया। दीपा भी चुपचाप गाड़ी में जाकर बैठ गई । लौटते हुए लग रहा था मानो यात्रा खत्म ही नहीं हो रही हो, जैसे गाड़ी आगे बढ़ ही नहीं रही थी। घर पहुंचे तो थक कर बुरा हाल था, ना सुबह से कुछ खाया था न पिया था । जिस काम से गए थे उसका कुछ परिणाम नहीं निकला, आने जाने में आठ दस घंटे लग गए ।
डॉक्टर की बात सुनकर दीपा सन्न रह गई, उसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ। यह होना और शेष रह गया था। अब आगे क्या होगा, कैसे होगा, उसकी समझ में नहीं आ रहा था। वह अगर फोन ...Read Moreरोहन को सूचना दे तो उसका परिणाम क्या होगा, ज्ञात नहीं । रोहन सुनकर आता है कि नहीं और आता है तो क्या प्रतिक्रिया होती है उसकी। सबसे बड़ी बात कुछ दिनों में ही उसकी शादी होने वाली है । हे भगवान! शालिनी आंटी और शिखा को जब यह बात पता चलेगी तो कितना क्रोध आएगा ।