Raaj-Sinhasan book and story is written by Saroj Verma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Raaj-Sinhasan is also popular in Classic Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
राज-सिंहासन - Novels
by Saroj Verma
in
Hindi Classic Stories
सूरजगढ़ के राजा सोनभद्र अपने कक्ष में अत्यधिक चिन्तित अवस्था में टहल रहें हैं,उनके मस्तिष्क की सिलवटें बता रहीं हैं कि उन्हें किसी घोर चिन्ता ने आ घेरा है,तभी उनके महामंत्री भानसिंह ने उनके कक्ष में प्रवेश किया और महाराज सोनभद्र से बोले ......
महाराज! आप यूँ चिन्तित ना हो,ईश्वर की कृपा से सब मंगल ही होगा।।
हमें भी यही आशा है महामंत्री जी!,महाराज सोनभद्र ने कहा।।
महाराज! आपकी होने वाली सन्तान और महारानी को कुछ नहीं होगा,उन पर हम सब का आशीर्वाद है,महामंत्री भानसिंह बोले।।
ईश्वर करें कि आपका कहा सच हो जाए,महाराज सोनभद्र बोले।।
तभी महल की एक दासी ने भागते हुए महाराज सोनभद्र के कक्ष में प्रवेश किया और बोली____
बधाई हो महाराज! महारानी ने एक सुन्दर और स्वस्थ बालक को जन्म दिया है....
सच! हम पिता बन गए,महारानी कैसीं हैं?महाराज सोनभद्र ने दासी से पूछा___
जी वें भी एकदम स्वस्थ हैं,किन्तु अभी अचेत हैं,दासी बोली।।
ये लो हमारी ओर से ये शुभ समाचार सुनाने के लिए भेंट स्वीकार करो___
महाराज ने अपने गले से मोतियों का हार दासी को देते हुए कहा___
तभी महामंत्री भानसिंह ने महाराज को बधाई देते हुए कहा___
सूरजगढ़ के राजा सोनभद्र अपने कक्ष में अत्यधिक चिन्तित अवस्था में टहल रहें हैं,उनके मस्तिष्क की सिलवटें बता रहीं हैं कि उन्हें किसी घोर चिन्ता ने आ घेरा है,तभी उनके महामंत्री भानसिंह ने उनके कक्ष में प्रवेश किया और ...Read Moreसोनभद्र से बोले ...... महाराज! आप यूँ चिन्तित ना हो,ईश्वर की कृपा से सब मंगल ही होगा।। हमें भी यही आशा है महामंत्री जी!,महाराज सोनभद्र ने कहा।। महाराज! आपकी होने वाली सन्तान और महारानी को कुछ नहीं होगा,उन पर हम सब का आशीर्वाद है,महामंत्री भानसिंह बोले।। ईश्वर करें कि आपका कहा सच हो जाए,महाराज सोनभद्र बोले।। तभी महल की एक
महाराज सोनभद्र महारानी विजयलक्ष्मी के समीप गए और बोले___ महारानी!आप ही बताएं कि मैं क्या करूं? इतने वर्षों की प्रतीक्षा के उपरांत हमारे यहां ये शुभ घड़ी आई हैं और मैं इतना असहाय हूं कि अपनी सन्तान का मुंह ...Read Moreनहीं देख सकता।। महाराज!इसी विषय पर बात करने के लिए ही मैंने आपको बुलवाया है, महारानी विजयलक्ष्मी बोलीं।। अब इसमें विचार करने योग्य कुछ भी नहीं रह गया है महारानी! क्योकि इस समस्या का एक ही समाधान है कि मैं ग्यारह वर्षों तक राजकुमार का मुंख ना देखूं, महाराज सोनभद्र बोले।। किन्तु महाराज! ये कैसे सम्भव होगा? कैसे आप अपने
सुकेतुबाली की कटार दासी की पीठ पर जा लगी,किन्तु दासी ने जब वहाँ से भागने का प्रयास किया तो उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि वो अब आगें नहीं बढ़ पाएगी तब उसने राजमहल के गलियारे के वातायन से ही ...Read Moreके प्रांगण में राजकुमार को अपनी गोद में लिए हुए महामंत्री भानसिंह को उच्च स्वर में पुकारा.... महामंत्री जी! राजकुमार के प्राणों की रक्षा कीजिए,उनके प्राण संकट में हैं, तभी महामंत्री जी ने वातायन की ओर देखा कि सुकेतुबाली उस दासी को बलपूर्वक उसके केशों द्वारा पकड़ कर ले गया,अब महामंत्री जी को पूरी बात समझ में आ गई और
भानसिंह अपनी बहन हीरादेवी,बहनोई घगअनंग ,शिष्य शम्भूनाथ और राजकुमार को लेकर अनादिकल्पेश्वर के आश्रम के ओर निकले ही थे कि इधर ज्ञानेश्वर ऋषि के आश्रम में सुकेतुबाली अपनी सेना के संग राजकुमार को खोजते हुए आ पहुँचा,जब आश्रम में ...Read Moreने भी राजकुमार के विषय में नहीं बताया तो उसने ज्ञानेश्वर ऋषि समेत सबकी हत्या करवा दी और आश्रम को अग्नि के सुपुर्द करके भाग गया किन्तु उस आश्रम से एक वीरभद्र नामक युवक भाग निकला।। उसने कहीं से एक अश्व का प्रबन्ध किया और भानसिंह की खोज में निकल पड़ा कि वो भानसिंह को ये बता सकें ऋषि ज्ञानेश्वर
राजकुमार सहस्त्रबाहु अनादिकलेश्वर ऋषि के आश्रम में बिल्कुल सुरक्षित थे,कोई भी वशीकरण शक्तियांँ उन्हें कोई भी हानि नहीं पहुँचा सकतीं थीं,उनकी रक्षा के लिए महामंत्री भानसिंह सदैव तत्पर थे और माँ हीरादेवी तथा पिता घगअनंग उन्हें पुत्र सा ही ...Read Moreदे रहे थे, इधर वीरभद्र को एक ऋषिकन्या से प्रेम हो गया,उसने ये बात भानसिंह से कही एवं भानसिंह ने उस ऋषिकन्या केतकी का विवाह वीरभद्र से करवा दिया एवं शम्भूनाथ को राजा वनराज के सेवकों में से एक सेविका भा गई थी जिसका नाम मधुमती था,इसलिए भानसिंह ने वनराज को ये संदेशा भेजा कि यदि आप मधुमती और शम्भूनाथ