Gavaksh book and story is written by Pranava Bharti in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gavaksh is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गवाक्ष - Novels
by Pranava Bharti
in
Hindi Moral Stories
गवाक्ष बसंत पंचमी दिनांक-12 2 2016 (नमस्कार मित्रो ! यह उपन्यास ‘गवाक्ष’ एक फ़िक्शन है जिसे फ़िल्म के लिए तैयार किया जा रहा था किन्तु इसके प्रेरणास्त्रोत 'स्व. इंद्र स्वरूप माथुर' का स्वर्गवास हो गया प्रोफ़ेसर माथुर राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान'NID'अहमदाबाद में एनिमेशन विभाग के 'हैड' थे वर्षों पूर्व मैंने उनके साथ कई एनिमेशन की फ़िल्मों की पटकथाएं लिखी थी बाद में वो हैदराबाद 'एनिमेशन इंस्टिट्यूट 'के डायरेक्टर होकर चले गए थे एक बहुत बड़ी दुर्घटना के कारण उन्हें वापिस अहमदाबाद लौटना पड़ा यहाँ पर उन्होंने 'सिटी प्लस फ़िल्म व टेलीविज़न इंस्टिट्यूट' को खड़ा किया जिसमें मैं भी विज़िटिंग फ़ैकल्टी रही व बी.ए के
गवाक्ष बसंत पंचमी दिनांक-12 2 2016 (नमस्कार मित्रो ! यह उपन्यास ‘गवाक्ष’ एक फ़िक्शन है जिसे फ़िल्म के लिए तैयार किया जा रहा था किन्तु इसके प्रेरणास्त्रोत 'स्व. इंद्र स्वरूप माथुर' का स्वर्गवास हो गया प्रोफ़ेसर माथुर ...Read Moreडिज़ाइन संस्थान'NID'अहमदाबाद में एनिमेशन विभाग के 'हैड' थे वर्षों पूर्व मैंने उनके साथ कई एनिमेशन की फ़िल्मों की पटकथाएं लिखी थी बाद में वो हैदराबाद 'एनिमेशन इंस्टिट्यूट 'के डायरेक्टर होकर चले गए थे एक बहुत बड़ी दुर्घटना के कारण उन्हें वापिस अहमदाबाद लौटना पड़ा यहाँ पर उन्होंने 'सिटी प्लस फ़िल्म व टेलीविज़न इंस्टिट्यूट' को खड़ा किया जिसमें मैं भी विज़िटिंग फ़ैकल्टी रही व बी.ए के
गवाक्ष 2 मंत्री जी के मुख से मृत्यु की पुकार सुनकर दूत प्रसन्न हो उठा । ओह ! कोई तो है जो उसे पुकार रहा है । 'अब उसका कार्य आसान हो जाएगा' वह उत्साहित हो गया -- ...Read More! मैं आपको ही लेने आया हूँ । अब तक मंत्री जी किसी स्वप्नावस्था में थे, दूत की वाणी ने उनके नेत्र विस्फ़ारित कर दिए, वे चौकन्ने हो उठे। अपनी वस्त्रहीन देह संभालते हुए वे बोले -- मेरे अंतरंग कक्ष में किसीको आने की आज्ञा नहीं है, तुम कैसे चले आए और दिखाई क्यों नहीं दे रहे हो ? क्या उस पर्दे के पीछे छिपे हो ?वे सकपका से गए । इस
गवाक्ष 3 == मंत्री जी के आदेशानुसार वह गुसलखाने से निकल आया था और उनके सुन्दर, व्यवस्थित 'बैड रूम' का जायज़ा लेने लगा था । मंत्री जी के बड़े से सुन्दर, सुरुचिपूर्ण कक्ष में कई तस्वीरें थीं, जिनमें कुछ ...Read Moreपर और कुछ पलंग के दोनों ओर पलंग से जुड़ी हुई छोटी-छोटी साफ़ -सुथरी सुन्दर मेज़ों पर थीं । कॉस्मॉस ने ध्यान से देखा एक सौम्य स्त्री की तस्वीर कई स्थानों पर थी। किसी में वह मंत्री जी के साथ थी, किसी में पूरे परिवार के साथ, किसी में एक प्रौढ़ा स्त्री के साथ और उसी सौम्य, सरल दिखने वाली स्त्री की एक बड़ी सी तस्वीर ठीक मंत्री जी
गवाक्ष 4=== मंत्री जी स्वयं इस लावण्यमय दूत से वार्तालाप करना चाहते थे। वे भूल जाना चाहते थे कि बाहर कितने व्यक्ति उनकी प्रतीक्षा कर हैं, वे यह भी याद नहीं रखना चाहते थे कि 'कॉस्मॉस' नामक यह प्राणी ...Read Moreजो भी है इतने संरक्षण के उपरान्त किस प्रकार उन तक पहुंचा ? वे बस उससे वार्तालाप करना चाहते थे, उसकी कहानी में उनकी रूचि बढ़ती जा रही थी । " अपने बारे में विस्तार से बताओ----"मंत्री जी ने अपना समस्त ध्यान उसकी ओर केंद्रित कर दिया। " जी, जैसा मैंने बताया मैं कॉस्मॉस हूँ, गवाक्ष से आया हूँ । धरती पर मुझे 'मृत्यु-दूत'माना जाता है। हमारा निवास 'गवाक्ष' में है, आप उसे स्वर्ग,
गवाक्ष 5== सत्यव्रत ने आँखें मूंदकर एक लंबी साँस ली। वे समझ नहीं पा रहे थे इस अन्य लोक के प्राणी से वे क्या और कैसे अपने बारे में बात करें? " हर वह धातु सोना नहीं होती जो ...Read Moreहुई दिखाई देती है । " उन्होंने मुरझाए शब्दों में कहा । "अर्थात ---??" उसकी बुद्धि में कुछ नहीं आया अत: उसने उनसे पूछा; "वैसे आप इतने व्यथित क्यों हैं? क्या इसलिए कि मैं आपको ले जाने आया हूँ ? " "नहीं दूत, मैं इस तथ्य से परिचित हूँ कि समय पूर्ण होने पर सबको वापिस अपने वास्तविक निवास पर लौटना होता है । " "क्या मैं अपेक्षा करूँ आप मुझे