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यूँ ही राह चलते चलते - Novels
by Alka Pramod
in
Hindi Travel stories
चाय की चुस्की लेते हुए रजत बोले ’’ अगर तुम मुझे पाँच लाख रुपये दो तो मैं तुम्हें एक सरप्राइज दे सकता हूँ। ‘‘
’’ ये कौन सा सरप्राइज है जिसकी कीमत पाँच लाख है?‘‘
’’घाटे में नहीं रहोगी ये वादा है। ‘‘
बात को मजाक में लेते हुए अनुभा ने भी हाँ कह दी । बात आई गई हो गई।
शाम को उसे पता चला कि बात गंभीर थी और उसे सच में पाँच लाख का इंतजाम करना होगा । पर सरप्राइज इतना आकर्षक था कि अनुभा को पाँच लाख का सौदा भी सस्ता लगा । उन्नीस दिनों का यूरोप भ्रमण का पर्यटन कम्पनी का विज्ञापन था । अनुभा को विश्वास नहीं हो रहा था कि उसका वर्षों का सपना पूरा होने की कगार पर है।
यूँ ही राह चलते चलते -1- चाय की चुस्की लेते हुए रजत बोले ’’ अगर तुम मुझे पाँच लाख रुपये दो तो मैं तुम्हें एक सरप्राइज दे सकता हूँ। ‘‘ ’’ ये कौन सा सरप्राइज है जिसकी कीमत पाँच ...Read Moreहै?‘‘ ’’घाटे में नहीं रहोगी ये वादा है। ‘‘ बात को मजाक में लेते हुए अनुभा ने भी हाँ कह दी । बात आई गई हो गई। शाम को उसे पता चला कि बात गंभीर थी और उसे सच में पाँच लाख का इंतजाम करना होगा । पर सरप्राइज इतना आकर्षक था कि अनुभा को पाँच लाख का सौदा भी
यूँ ही राह चलते चलते -2- कमरे में आ कर लम्बे सफर के बाद वो पीठ सीधी करने को लेटे ही थे कि आधा घंटा बीत गया।अनुभा ने रजत से कहा ‘‘उठिये, सुमित ने ठीक आधे घंटे बाद नीचे ...Read Moreको कहा था’’। ‘‘ क्या यार अभी तो पैर भी सीधे नहीं हो पाये हैं’ रजत ने करवट बदलते हुए कहा । मन तो अनुभा का भी कुछ देर लेटने का हो रहा था पर सुमित ने पहले ही विनम्रता की चाशनी में लपेट कर सचेत कर दिया था कि समय की ढील सहन नहीं की जाएगी और जो देर
यूँ ही राह चलते चलते -3- आज से तीन दिनों तक सबको क्रूस (पानी के जहाज ) का आनन्द उठाना था । क्रूस उनकी प्रतीक्षा में पलकें बिछाए, सागर तट के पाइरियास पोर्ट पर प्रहरी सा तना खड़ा था। ...Read Moreसब क्रूस पर गये तो सभी की आँखें आश्चर्य से खुली रह गयीं। सम्भवतः सभी के लिये यह प्रथम अनुभव था। आठ तल ऊँचे इस जहाज में तो अपना एक अलग संसार ही था। सैकड़ों केबिन, दो डाइनिंग हाल लायब्रेरी, कैसीनो, लांज, स्वीमिंग पूल सभी कुछ तो था । इस नये संसार में यदि कोई खो जाये तो उसे ढूँढना
यूँ ही राह चलते चलते -4- कोच आया तो अपनी आयु को भूल कर कोच में आगे सीट के लिये सभी दौड़ पडे़। सब सीट लेने में व्यस्त थे पर वान्या की दृष्टि बस यशील और अर्चिता को ढूँढ ...Read Moreथी । वह मन ही मन पछता रही थी कि जाते समय वह यशील के साथ क्यों नहीं गयी । तभी उसने देखा कि अर्चिता अपने मम्मी पापा के साथ आ रही है उसके मन के तनाव में अचानक ढील आ गयी। वह व्यर्थ ही न जाने क्या क्या कल्पना करके आशंकित थी।पर दूसरे ही क्षण उसने स्वयं को सावधान
यूँ ही राह चलते चलते -5 - लेवेरियान के पोर्ट पर क्रूस से उतर कर सब बाहर आये। निमिषा ने सचिन से कहा ‘‘ आज तो तुम मेरे पाँवों की फोटो ले लो जो चार दिनों बाद धरती पर ...Read Moreहैं’’। सचिन ने कहा ‘‘ गनीमत है धरती पर आये तो ’’। संजना हँस पड़ी।फोटो की बात पर ऋषभ को अचानक मान्या-महिम की याद आ गयी उसने कहा ’’ वो अपना हीरो हीरोइन कहाँ गया‘‘? संजना ने कहा ’’ तुम्हे टेंशन की जरूरत नहीं वो अपना काम कर रहा है ‘‘ अनुभा ने मुड़ कर देखा तो सच में महिम