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यूँ ही राह चलते चलते - 14

यूँ ही राह चलते चलते

-14-

कारवाँ चल पड़ा धरती के स्वर्ग स्विटजरलैंड । सुबह ठीक आठ बजे ही सब उपस्थित थे ब्रेकफास्ट करने के लिये, मानो स्विट्जरलैंड में व्यतीत होने वाला एक क्षण भी गँवाना उन्हें मंजूर न था। अपना सामान बाँध कर के उन्होने कोच में रखा और बाहर खड़े होकर विभिन्न तरह की चर्चाओं में व्यस्त हो गये।

आज संजना ने नारंगी अनारकली सूट पहना था तो निमिषा ने स्लीवलेस टाप और कैप्री पहना था, मीना श्रेष्ठ ने आसमानी चिकन की कुर्ती और ट्राउजर्स पहने थे यानि कि चारों ओर रंग ही रंग बिखरे थे। सभी प्रफुल्ल्ति थेे और स्विटजरलैंड जाने को ले कर खासे उत्साहित। अर्चिता शार्ट्स और सफेद स्किन टाइट टाप में लाल गाॅगल्स लगाये, गुची का हैंडबैग लिये पूरी माडल लग रही थी तभी वान्या लता और मानव भी आ गये । वान्या ने नीली जींस पर हल्के बसंती रंग का टाप पहना था जो उसके ऊपर काफी फब रहा था ।

तभी श्रीमती चन्द्रा ने कहा ’’अर्चू छोटा वाला बैग नहीं दिख रहा है।‘‘

’’मम्मी वो तो आप के पास था ।‘‘

’’पर रूम लाक करते समय मैंने तुम्हे पकड़ाया था ’’श्रीमती चन्द्रा ने याद दिलाया।

’’पर मम्मी मैंने वही रख दिया था कि आप ले आएंगी‘‘ अर्चिता ने कहा।

’’चलो कोई बात नहीं अभी तो हम यहीं हैं, वहीं रह गया होगा चलो ले आते हैं ।‘‘

अर्चिता और श्रीमती चन्द्रा बैग लेने होटल में चली गईं ।

चन्दन और यशील अपना अपना ट्राली बैग खींचते हुये आ रहे थे। आज वही सबसे देर में आये थे, लगता है देर तक सोते रहे।

चंदन कुछ कहने को मुड़ा और उसके पीछे आ रहे यशील का पैर चंदन के बैग से टकरा गया और यशील मुँह के बल गिर गया।संभवतः उसके होंठ दाँतों के बीच में आ गये और उसके मुँह से खून निकलने लगा। कई लोग उसे उठाने को दौड़ पड़े।

वान्या चिल्लाई ’’ओ माई गाड इतना ब्लड‘‘ वह अपने रूमाल से उसका खून पोंछने लगी।

तभी लता जी ने अपने बैग से फर्स्ट ऐड बाक्स निकाला और रुई में डिटाल लगा कर यशील का घाव पोछा और सैफ्रोमाइसीन लगा दीं। आज यशील की सीट कोच में पीछे थी जबकि मातोंडकर परिवार की आगे, पर लता ने उदारता दिखाते हुये कहा ‘‘ तुम्हारे चोट लगी है पीछे परेशानी होगी, तुम और तुम्हारे दोस्त आगे बैठ जाओ मैं और मेरे हस्बैंड पीछे बैठ जाएंगे। ’’

तभी संकेत बोला ‘‘ अरे आंटी यशील मेरी सीट पर बैठ जाएगा आप अपनी जगह पर ही बैठिये ।’’

श्री श्रीकृष्ण ने संकेत का समर्थन करते हुए कहा ‘‘ ठीक तो कह रहा है संकेत तुमने दवा लगा दी अब अपनी सीट देने की क्या जरूरत है ?’’

लता जी के उद्देश्य में संकेत और श्रीकृष्ण बिना बात ही व्यवधान बन रहे थे। पर इस बार उन्होंने भी सोच लिया था कि वह उनकी नहीं चलने देंगी।उन्होंने अपनी बात पर अटल रहते हुए जोर दे कर यशील से कहा ‘‘ तुम यहाँ आ कर बैठो। ’’

यशील एक बार श्री मातोंडकर का रुक्ष व्यवहार देख चुका था अतः वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे, एक ओर लता जी का आग्रह दूसरी ओर श्री मातोंडकर का विरोध, वह असमंजस में खड़ा था कि लता जी ने पुनः कहा ‘‘ यशील बैठो। ’’

यशील ने कहा ’’थैंक्स आंटी ‘‘

चंदन ने उसे देख कर आँख मारी और बोला ’’ यार आंटी लोग तुम्हारे दिल की बात कैसे सुन लेती हैं, मेरी तो कोई नहीं सुनता‘‘ यशील ने उसे आखों-आँखों में ही घुड़का। चंदन मुसकराता हुआ आगे बैठ गया। उसके पीछे वान्या और उसका भाई मानव बैठे थे।

निमिषा संजना से बोली ’’ आज यशील को पटाने का मौका मिला है तो उसे वान्या के पास बैठाने के लिये खुद पीछे बैठी जा रही हैं।’’

संजना ने कहा ’’ अभी अर्चिता आएगा तो खूब जलेगा। ‘‘

अर्चिता जब आई तो वान्या, मानव, चंदन और यशील किसी बात पर हँस रहे थे। अर्चिता ने कहा ’’यशील तुम गलत सीट पर बैठे हो अभी सुमित नाराज होंगें। तुम्हारी सीट तो मेरे आगे वाली है। ‘‘

वान्या का पलड़ा भारी था उसने अर्चिता को चिढ़ाते हुये कहा ’’टुडे यशील विल सिट हेयर ।‘‘

’’ अरे कोई जबरदस्ती हेै क्या, मैं कह रही हूँ उसकी सीट पीछे है कम आन यशील ‘‘ अर्चिता ने साधिकार कहा, पर आश्चर्य कि यशील वहाँ से हिला भी नहीं।

’’देख नहीं रही हो उसके कितनी चोट लगी है, हमारी आई ने उसे फस्र्ट ऐड दी है और उसे झटका न लगे इसीलिये अपनी सीट भी दे दी ‘‘ वान्या ने कहा।

अब अर्चिता का ध्यान यशील की चोट पर गया। उसने कहा ’’अरे ये क्या हुआ तुम्हारे तो चोट लगी है ‘‘।

’’कुछ नहीं थोड़ा कट गया है ‘‘ यशील ने बात को हवा में उड़ाते हुए कहा।

’’अरे ये तो अच्छा खासा घाव है, रूको मैं कोई दवा देती हूँ ‘‘ अर्चिता ने व्यस्त भाव से कहा।

’’रहने दो मेरी आई ने खाने की दवा भी दे दी है और ड्र्रेसिंग करके आयन्टमेंन्ट भी लगा दिया है ‘‘ वान्या ने जले पर नमक छिड़कते हुये कहा।

’’हाँ रियली आज आंटी और वान्या ने मेरी बडी़ हेल्प की आय एक ग्रेटफुल टु देम ‘‘ वह वान्या का आभारी हो रहा था।

अर्चिता जो आज कल निश्चित हो गयी थी कि वान्या नाम का काँटा उसकी राह से निकल गया है आज पुनः उस काँटे के चुभ जाने से व्याकुल हो गयी थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि पासा पलट कैसे गया।

उसने खा जाने वाली नजरों से वान्या को देखा । वान्या के चेहरे पर विजय का भाव था। हार कर अर्चिता पीछे अपनी सीट पर चली गयी। उसका स्विटजरलैंड जाने का उत्साह फीका पड़ गया। सब अपने गंतव्य की ओर चल दिये। राह में ऐलबेट टनेल पड़ी। एक बार जो टनेल में कोच ने प्रवेश किया तो खतम होने का नाम ही नहीं ले रही थीं। टनेल लाइट से जगमगा रही थी और थोड़ी-थोड़ी दूर पर उसकी दूरी लिखी थी। संजना बोली ’’ सुमित कितना लम्बा टनेल है ये, मुझे तो घबराहट हो रहा है।‘‘

यह सुन कर सब हँसने लगे। सुमित ने बताया’’ यह 12 किलोमीटर लम्बी सुरंग हेै जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी सुरंग है और इसमें सुरक्षा की पूरी व्यवस्था है‘‘ सुरंग से बाहर निकल कर रास्ते में ब्रूडेन के 400 मीटर ऊँचे पहाड़ दिखाई दे रहे थे।

अन्ततः स्वप्नों के देश स्विटजरलैंड में सब पहुँच ही गये थे । सुमित ने कहा ’’अब हम लोग स्विटजरलैंड में प्रवेश कर चुके हैं।‘‘ सबने एक साथ प्रसन्नता की अभिव्यक्ति करते हुए ताली बजा कर प्रसन्न्ता व्यक्त की ।

सुमित ने कहा ’’ आप सब की तालिया बता रही हैं कि स्विटजरलैंड आ कर आप कितने खुश हैं, पर आप लोग केवल यहाँ की सुन्दरता के बारे में ही जानते हैं या कुछ और ?’’

बस फिर क्या था मीना किसी कक्षा के छात्र के समान इस डर से कि कोई और न बता दे उत्साह में खड़ी हो गई और बताने लगी ’’ स्विटजरलैंड का क्षेत्र फल 41000 वर्ग मीटर है यहाँ अनेक भाषाएं बोली जाती हैं जैसे इटैलियन, जर्मन, फ्रेंच एवं रोमन..‘’

संजना ने कहा ’’ स्विटजरलैंड के बारे में खूब पाठ पढ़ कर आया है ये ।‘‘

मीना ने सुन लिया तो उसने चिढ़ कर कहा ’’ स्विटजरलैंड के बारे में नहीं मैं इन जनरल सबके बारे में पढ़ती रहती हूँ ।‘‘

संजना भी कहाँ चुप रहने वाली थी उसने कहा ’’ स्विटजरलैंड के बारे में तो आप को पता है पर अपने इंडिया का एरिया भी पता है क्या? ‘‘

अब मीना के चुप रहने की बारी थी ।

तब संजना ने कहा ’’ अपने इंडिया का एरिया 3.3 मिलियन वर्ग मीटर है‘‘।

सुमित ने कहा ’’ मुझे अच्छा लग रहा है कि आप सब मात्र मनोरंजन नहीं सही अर्थों में भ्रमण कर रहे हैं। वैसे आप को यह भी बता दें कि यूरोपियन देशों ने मिल कर एक यूनियन बनायी है जिसमें यूरोप के 24 देश आते हैं और वहाँ पर सीमाओ पर कोई टैक्स नहीं पड़ता तथा हर जगह एक ही मुद्रा यूरो चलती है।‘‘

सचिन ने कहा ’’ सुमित, है तो स्विटजर लैंड भी यूरोप में पर यूरोप यूनियन में तो शायद वो नहीं है । ‘‘

’’ यस यू आर राइट स्विटजरलैंड सम्मिलित नहीं हुआ क्यों कि वह उनके नियमों से बंधना नहीं चाहता था । पर लक्समबर्ग के छोटे से शहर शैंगेन में लगभग 19-20 देशों के मध्य हुए एग्रीमेंट के अनुसार सीमा के देशों पर नियंत्रण होता है तथा शैंगेन वीसा से यूरोप के सभी शैंगेन देशों में जाया जा सकता है । शैन्गेन वीसा से पूरे यूरोप में घूम सकते हैं ।‘‘

’’ पर यूनाइटेड किंगडम उसमें नही आता है। स्विटजरलैंड यूरोपियन यूनियन का सदस्य नही है पर शैन्गेन वीसा यहाँ भी चलता है‘‘ सुमित ने बताया ।

’’ क्या गोरख धंधा है‘‘ निमिषा ने इस लम्बे खिंचते वार्तालाप से बोर होते हुए कहा।

उसकी बात को अनसुना करते हुए सुमित ने कहा ’’आप में से कोई बता सकता है कि यहाँ का झंडा कैसा है?’’

मानव ने कहा ’’ स्विटजरलैंड का झंडा चैकोर लाल है जिस पर सफेद क्रास बना है । ‘‘

’’एक्जैक्टली‘‘ सुमित ने कहा तो अनुभा ने पूछा ’’सुमित प्लीज इसके चैकोर आकार और लाल रंग पर सफेद क्रास होने के पीछे क्या कारण है बताइये‘‘।

सुमित ने बताया ’’चैकोर का अर्थ है कि यह देश न्यूट्रल है । रेड क्रास यहीं से प्रारम्भ हुआ अतः उसका उलटा यहाँ का झंडा है। रेड क्रास एनहर डूनैन्ट ने प्रारम्भ किया था जो स्विस था पर नाम फ्रेंच था।’’

तभी रास्ते में बने मकान दिखाते हुये सुमित ने बताया कि ये देखिये जो मकान आप देख रहे हैं वो लकड़ी के हैं जिन्हे शैलीस कहते हैं । इनकी छतें ढलान लिये हुए बनी हैं। इन घरों में नीचे भाग में जानवरों के लिये बीच में परिवार और ऊपर खाने का भंडार होता है जहां भूसा होता है ठंड से बचाने के लिये ।प्रत्येक घर में सौर उपकरण से सौर ऊर्जा प्राप्त कर उसका सदुपयोग किया जाता है।

अनुभा ने रजत से कहा ’’ काश अपने यहाँ भी ऐसा होता तो बिजली की इतनी कमी न होती ‘‘।

क्रमशः--------

अलका प्रमोद

pandeyalka@rediffmail.com