Jin ki Mohbbat - 15 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत... - 15

आप लोग अपना ख्याल रखना ज़ीनत से कहा अम्मी को किसी चीज की परेशानी ना हो ये तुम्हारी ज़िम्मेदारी है ।
शान घर से निकल गया पूरा दिन ज़ीनत बे चेन सी रही रात करीब 12:30 बजे गेट की आवाज़ हुई ज़ीनत पास गई और कहा कोन कोन है गेट पर..? अब आगे ।

भाग 15

बाहर से आवाज़ आई l
" ज़ीनत गेट खोलो में हूं..!
आवाज़ सुनते ही ज़ीनत ने गेट खोला ।
देखा तो गेट पर शान था l ज़ीनत शान को देख बहुत खुश हुई l और कहाl
" आप मुंबई जाने वाले थे ?"
शान बोला l
"हा जाना था लेकिन मेने कैंसिल कर दिया l अब नहीं जाना तुम्हे छोड़ के ।"
ये सब सुन कर ज़ीनत की खुशी का ठिकाना नहीं रहा ओर वो शान से लिपट गई ।
शान उसे अपने बाज़ुयो में उठा कर रूम में लेे आयाl ज़ीनत को बेड पर लिटा कर बोला ।
"ज़ीनत हमें आज कोई एक होने से नहीं रोक पाएगा l आज हम अपनी सुहागरात मनाएंगे ।"
ज़ीनत शर्माती हुई बोली!
" लेकिन अम्मी अकेली है ! उनको कोई चीज की जरूरत हुई तो ?"
शान बोला l
"नहीं आज अम्मी गहरी नींद में है वो नहीं जागेगी ज़ीनत मेने इस रात का बहुत इंतजार किया है ।
आज बस तुम ओर में हूं ओर कोई नहीं ! मुझे अपने से दूर जाने का ना बोलना कभी ।
में तुम्हारी बात टाल नहीं सकता ओर खुद को रोक भी नहीं पा रहा हूं ।"
ज़ीनत में तुम्हे बेपनाह मोहब्बत करता हूं ! तुम्हारे बिना मेरा कोई वजूद नहीं ज़ीनत ।
ज़ीनत को शान की बाते सूनकर रहा नहीं गया और उसने अपनी बांहे फेला दी ! शान को अपने आगोश में ले लिया ।
अब शान ओर ज़ीनत दो जिस्म एक जान हो गए थे l शान की मोहब्बत ज़ीनत के लिए तोहफा ए खुदा हो गया था ।
ज़ीनत फजर की नमाज़ के लिए उठी और गुसल कर के शुक्राना नमाज़ अदा की ।
शान ज़ीनत को बेड पर ना पाते हुए बेचेन हुआ ओर उसे देखने बाहर आया देखा की
अम्मी के रूम में ज़ीनत नमाज़ पढ़ रही थी l उसे नमाज़ पढ़ता देख शान मुस्कुरा दिया ।
शान को सामने खड़ा देख ज़ीनत ने कहा l
"आप इतने जल्दी क्यू उठ गए..?
शान बोला l
" तुम्हे अपने पास ना पाकर में डर गया तुम मुझे छोड़ के कहा चली गई ?"
ज़ीनत हस्ते हुए बोली l
"आप पागल हो क्या ? में कहा जा सकती हूं आपको छोड़ के ? आप ही ज़िन्दगी हो मेरी ।"
ओर अब में सिर्फ ओर सिर्फ आप से मर कर ही दूर हो सकती हूं ! जीते जी नहीं ।"
शान ज़ीनत को चुप करते हुआ बोला !
"जिने कि बात करो मरने की नहीं ।
मुझे जीना है तुम्हारे साथ ! क़यामत तक आज के बाद ऐसी बात नहीं करना समझी ?"
अब ज़ीनत अपने काम में बिजी हो गई ! शान के ऑफिस जाने का टाइम हुआ ।
ज़ीनत ने लंच बॉक्स तैयार किया शान को बोला l
"आप तैयार हो जाएं ऑफिस का टाइम हो गया है ।"
शान ने ज़ीनत को मना करते हुए कहा में ऑफिस नहीं जा रहा हूं कुछ दिन छुट्टी पे हूं ।
मुझे तुम्हारे साथ वक़्त गुजरना है ! बस कोई काम नहीं तुम ओर में बस ओर कोई नहीं ।
तभी शान की अम्मी ने आवाज़ दी l
" बेटा ज़ीनत ?"
"जी अम्मी आती हूं !"
" ज़ीनत शान को रूम में छोड़ के चली गई ।
शान को ये बात पे गुस्सा आयाl ओर वो रूम में यहां-वहां गुमता रहा ज़ीनत के इंतजार में ।
ज़ीनत अम्मी के रूम में करीबन 1 घंटा बैठी रही ! उनके कपड़े चेंज किए नहलाया ।
ज़ीनत अम्मी के सारे काम कर के जब रूम में आई देखा शान बहुत गुस्से में है ।
"ज़ीनत ने पूछा क्या हुआ..?"
"गुस्सा क्यों हो मुझ से ? क्या किया मेने..?
शान ने कोई जवाब नहीं दिया ज़ीनत ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए
कहा l
"अब अम्मी का ख्याल नहीं रखुगी तो आपको भी बुरा लगेगा ना आपकी अम्मी जो है ।"

क्रमश: