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लिव इन रिलेशनशिप्स की चाहत

“ लिव इन रिलेशनशिप्स की चाहत “

आर 0 के0 लाल

संजय ने अपने दोस्त पवन से कैंटीन में समोसा खाते हुए कहा- "यार तुम बुरा न मानो तो मैं तुमसे एक व्यक्तिगत बात करना चाहता हूं।"

पवन ने कहा- "अरे भाई! इसमें बुरा मानने की क्या बात है। एक दोस्त दूसरे दोस्त से अपने मन की बात नहीं बताएगा तो किससे बताएगा? तुम खुल कर बात कर सकते हो।"

संजय ने कहा- "आजकल तो सभी जगह लिव इन रिलेशनशिप का जमाना है। मैं भी चाहता हूं कि किसी के साथ इस प्रकार के संबंध में रहूं। यार मैं यहां चार साल से नौकरी कर रहा हूं और अकेले ही एक मकान लेकर रह रहा हूं। गांव में मेरी तीन बड़ी बहने हैं। जब तक उनका ब्याह नहीं हो जाता मेरे ब्याह का तो कोई प्रश्न ही नहीं है। हर महीने बहनों के ब्याह के लिए भी पैसे बचाकर भेजना पड़ता है। मेरी इच्छाओं की तो किसी को चिंता नहीं है। आखिर मैं एक इंसान ही तो हूं। तुम ही बताओ मेरा काम कैसे चले। इसलिए अगर कोई अच्छी महिला इंटरेस्टेड हो तो मुझे बताओ। थोड़ी सुंदर होनी चाहिए। मैं लिव इन रिलेशन में रहने के लिए तैयार हूं।"

पवन ने जवाब दिया- “ देखो संजय, वैसे तो इसमें कोई हर्ज नहीं है। यह सम्बंध स्नेहात्मक और गहरा होता है और कई बार तो लम्बे समय तक चल जाता है । अगर दिल मिल गया तो लिव इन रिलेशन के संबंधी परिणय सूत्र में भी बंध जाते हैं परंतु इसकी नींव हमेशा अस्थाई एवम् डावांडोल ही रहती है।“

संजय बीच में ही बोल पड़ा- " अगर बात नहीं बनती तो जब चाहे लड़का और लड़की अपनी इच्छा अनुसार कभी भी अलग हो सकते हैं। इसमें कोई कानूनी दांवपेच भी नहीं है कि मुकदमा करो, तलाक लो। आज लड़के और लड़की दोनों अपने तरी़के से, अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जी तो सकते हैं। लिव इन रिलेशन में रहते रहते मैं उस लड़की को अच्छी तरह समझ लूंगा। वह भी मेरे बारे में इत्मीनान कर लेगी तो शादी भी कर सकते हैं। हम तो सोचते हैं कि इससे दोनों का ही फायदा है।"

पवन ने कुछ सामाजिक प्रश्न उठाए - "संजय भाई, तुम्हारी बात तो सोलह आने सच है। अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला सुना दिया है कि लिव इन रिलेशन कानूनन सही है। अब दो बालिग लड़का- लड़की शादी किए बगैर ही अपनी मर्जी से पारिवारिक जीवन जी सकते हैं। इसमें दोनों पार्टनर के बीच शारीरिक संबंध बनाने का भी अधिकार है। मगर बहुत बड़ा प्रश्न यह है कि क्या हमारे समाज ने कहीं इसको मान्यता दी है? क्या तुम्हारे घर वाले इसको सही मानेंगे? यदि कोई ऐसे रिश्ते में रह भी रहा है, तो इसे स्वीकारने की हिम्मत क्यों नहीं कर पाता? ज्यादातर लोग झूठ ही बोलते हैं। कोई कहता है कि ये हमारे जीजा जी हैं तो कोई कहता है यह हमारे दोस्त की बहन है। क्या अच्छे घर की कोई लड़की इस तरह तुम्हारे साथ रहने के लिए राजी होंगी?"

संजय ने कहा - "इसी बात का तो डर है, इसलिए मैं किसी से बात करने में हिचकिचता हूं। लेकिन बड़े शहरों में तो यह प्रचलन बढ़ता जा रहा है, तभी तो लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सहायता लेनी पड़ी। मैं तो इसका पक्षधर हूं। मुंबई में मेरे एक परिचित भी इसी तरह अपना काम चला रहे हैं। उन्हें एक लड़की के साथ इसलिए रहना पड़ा, क्योंकि उन लोगों के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे दो अलग-अलग कमरों का किराया दे सकें। साथ रहने वाली लड़की को भी तो कोई एतराज नहीं है और समाज में आज किसके पास फुर्सत है कि वह दूसरों के पचड़ों में पड़े। सब अपनी जिंदगी अपने हिसाब से चला रहे हैं।"

संजय ने इस रिलेशन की वकालत की,” आज बहुत सी लड़कियां दूर से यहां नौकरी करने आती हैं। अगर अकेली रहती हैं तो अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उनके लिए लिव इन रिलेशन अच्छा होता है। इससे अनजान शहर में एक साथी तो मिलता है। उनमें स़िर्फ शारीरिक नहीं, भावनात्मक रिश्ता भी होता है। दोनों हर काम मिल-बांटकर करते हैं।“

लिव इन रिलेशनशिप के लिए संजय बहुत एक्साइटेड था। पवन ने कहां कि हम पता करते हैं । अगर कोई ठीक-ठाक रिश्ता मिल गया तो हम खुद तुम्हें बताएंगे। उस दिन से संजय भी एक साथी की तलाश में जुट गया। जहां भी वह कोई काम करने वाली लड़की देखता उसे लगता है कि उससे रिश्ता बन जाएगा। एक दिन संजय मेट्रो से अपने काम पर जा रहा था। उसके बगल में एक लड़की भी बैठी थी। उसका नाम शुभ्रा चक्रबर्ती उसके आई कार्ड पर छपा था l संजय ने बातों बातों में उससे पूछ ही लिया कि वह कहां काम करती है और कहां रहती है। शुभ्रा ने कहा मेट्रो से ऑफिस आने जाने में उसे रोजाना चार घंटे बर्बाद करने पड़ते हैं इसलिए वह अपने ऑफिस के पास ही रहने का ठिकाना ढूंढ रही है। मगर अकेले होने के कारण कोई मकान मालिक उसे मकान देता है नहीं। दो-चार दिन तक संजय ने हिम्मत करके पूछ लिया कि मेरे पास दो कमरे का एक फ्लैट है। क्या तुम मेरे साथ रह सकती हो? शुभ्रा ने कहा- “ ना बाबा ना। यह तो कभी नहीं हो सकता कि मैं एक लड़के के साथ रहूं । घरवाले तो मुझे जिंदा ही जला डालेंगे।“ संजय ने उसे समझने कि कोशिश की कि आजकल तो लोग लिव इन रिलेशन में रहते ही हैं। मैं तो तुम्हें केवल रहने का ऑफर दे रहा हूं । तुम्हें वहां कोई परेशानी नहीं होगी। शुभ्रा ने कोई जवाब नहीं दिया। संजय ने प्रस्ताव रखा कि क्यों न हम लोग लिव इन रिलेशन की तरह रहे। जब तक तुम्हारी मर्जी हो मेरे साथ रहना उसके बाद अलग हो जाना । वैसे भी तुम कोलकाता की रहने वाली हो इस बात का पता किसी को नहीं चलेगा।“

शुभ्रा ने कहा- " मैं तुम्हारे खुले प्रस्ताव की तारीफ करती हूं। घर से दूर रहकर हम कुछ भी कर सकते हैं, किसी हद तक जा सकते हैं । अगर सुरक्षा के उपाय अपनाएं तो किसी को पता नहीं चल सकता और हम लोग लाइफ को एंजॉय कर सकते हैं । मगर तुम्हें सोचना चाहिए कि क्या हमारा संस्कार इस बात का इजाजत देता है? क्या हम अपने घर वालों को धोखा दे सकते हैं और भारतीय संस्कृति का अपमान कर सकते हैं? मैं एक भारतीय नारी हूं और यहां की नारियां इज्जत के लिए मर मिट जाती हैं, इतिहास इस बात का गवाह है। इसलिए हमें अपने पर जज्बातों पर काबू रखना चाहिए। आज हमें घर से बाहर निकलने की इजाजत मिली है तो इसका हम गलत प्रयोग नहीं कर सकते हैं। मुझे बहुत दुख है कि तुम किसी ऐसी लड़की का फायदा उठाना चाहते हो जो सुदूर देश में नौकरी करने के लिए आई है। आइंदा हम लोग नहीं मिलेंगे। यह कहकर वह अगले स्टेशन पर मेट्रो से उतर गई और संजय अपना मुंह लेकर रह गया।

कुछ दिन बीते थे कि संजय के बर्थडे पड़ गई। उसने अपने दोस्तों को अपने आवास पर पार्टी दी। संजय के कार्यालय में तीन चार लड़कियां भी काम करती थी। उसने उनको भी निमंत्रण दिया। सभी लोग पार्टी में आए। उनमें से चित्रा भी थी। अभी हाल में उसने ड्यूटी ज्वाइन की थी। चित्रा एक बोल्ड लड़की थी । उसने पार्टी में ही एक लेक्चर दिया कि आज लड़कियां और लड़के दोनों साथ रह रहे हैं और जीवन के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। संजय तो इसी मौके की तलाश में था उससे तुरंत प्रस्ताव कर दिया कि अगर तुम ऐसा सोचती हो तो क्यों नहीं मेरे साथ आकर रहती। यह बगल वाला कमरा तो खाली पड़ा है। वैसे भी तुम मुझे अच्छी लगती हो। मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूं। क्या हम लोग लिव इन रिलेशन में रह सकते हैं? यदि सब कुछ ठीक रहा हम लोग अपने माता पिता के आशीर्वाद से शादी भी कर लेंगे।

चित्रा को इस बात में कोई बुराई नहीं लगी और उसके साथ रहने की हामी भर दी। चित्रा की सहेलियों ने यह सब सुना तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ कि चित्रा क्या करने जा रही है। मगर उसका अपना जीवन था इसलिए किसी ने कुछ ज्यादा नहीं कहा। चित्रा ने संजय से वादा करा लिया कि जब तक हम एक दूसरे को अच्छी तरह जान नहीं जाते तब तक कोई भी शारीरिक संबंध नहीं बनाएंगे और कोई जोर जबरदस्ती भी नहीं होगी। संजय ने सोचा कि पहले लड़की आए तो सही, उसने हां कर दी। दोनों साथ-साथ रहने लगे।

इस बात की खबर चित्रा के घर वालों को लगी तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। सही बात का पता चलने पर वे लोग बहुत गुस्सा हुए और फोन पर ही चित्रा को बहुत भला बुरा सुनाया क्योंकि यह सारी बात पूरे मोहल्ले में फैल गई थी। कहा कि तुम किसी पराय मर्द के साथ रहती हो। अभी हमारा समाज खुले रूप से इसका समर्थन नहीं करता। अभी भी देर नहीं हुई है। तुम उससे अलग हो जाओ। चित्रा ने उनकी बात मान ली और एक पी 0 जी 0 में चली गई।

चित्रा ने बताया कि अनीता भी किसी के साथ इसी तरह के रिलेशन में रहती थी। पहले तो कुछ दिनों दोनों काफी अच्छी तरह रहे मगर उसके दोस्त की नौकरी चली गई। सारा खर्च का बोझ अनीता पर पड़ने लगा जबकि तय हुआ था कि दोनों अधा आधा खर्च करेंगे । वह लड़का अनीता को मझधार में छोड़ कर अपने घर चला गया। अनीता अब कहती है कि मुझे लिव इन रिलेशन शब्द से ही घिन आती है ।वह लोगों को हिदायत देती है कि हमें अपनी संस्कृति के दायरे में ही रहना चाहिए। भले ही हम ख़ुद को कितना भी आधुनिक मान लें, मगर ऐसे रिश्ते को हमारा समाज अब भी पचा नहीं पा रहा है। इसमें तो खुल्लमखुल्ला संबंधों का प्रचार हो जाता है और हमारे स्वजन हमारा मुंह तक नहीं देखना पसंद करते।

उसने आगे बताया कि पूजा पिछले 3 साल से अपने बॉयफ्रेंड, के साथ लिव इन में रह रही हैं। दोनों ने अपने रिश्ते के बारे में घरवालों से अभी तक कुछ नहीं कहा है दोनों फिलहाल शादी के बारे में सोच तो रहे हैं, मगर करेंगे या नहीं, पता नहीं। ऐसे रिलेशनशिप में रहने वाली अधिकांश लड़कियां घरवालों से झूठ ही बोलती हैं।

संजय जी अभी भी हार नहीं मानी थी। एक दिन एक पार्टी में उसे सुधा नामक महिला मिल ही गई जो शादीशुदा थी मगर मुश्किल से छ: - सात महीने ही अपने पति के साथ रही थी। वह पति से बिना तलाक़ लिए संजय के साथ लिव इन में रहने लगी। एक अच्छे दोस्त की तरह दोनों एक-दूसरे को भावनात्मक सहयोग देने के साथ ही हर बात शेयर करते थे। सुधा एक अध्यापिका थी इसलिए वह घर पर ट्यूशन करती थी और अच्छा खासा पैसा कमाती थी । दोनों खूब घूमते और मस्ती करते।

इस बीच संजय के घर वालों ने उसकी शादी कहीं तय कर दी। संजय ने सुधा को कुछ नहीं बताया। चुपचाप शादी कर ली और अपनी पत्नी के साथ अलग रहने लगा। सुधा बहुत कुपित हो गई। उसने पुलिस में शिकायत कर दी। पुलिस वालों ने स्पष्ट रूप से बताया इस केस में कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि जो लोग शादी शुदा हैं उनके लिए लिव इन रिलेशन में रहने को उचित नहीं माना गया है। माननीय हाईकोर्ट में भी इस विषय में निर्णय दिया है कि लिव इन रिलेशनशिप में केवल अविवाहित, विधवा विधुर एवं तलाकशुदा व्यक्ति ही रह सकते हैं । जिनका नियमतः तलाक नहीं हुआ है उनके ऊपर कोई बचाव कानून नहीं लागू होगा।

देखा गया है कि सवालों के घेरे में स़िर्फ महिलाएं होती है। वे खुल कर कह भी नहीं पातीं कि यह मेरा लिव इन पार्टनर है। उन्हें ही ज्यादा मानसिक पीड़ा सहनी पड़ती है। यदि कोई लिव इन में रहने का फैसला करती है, तो उसे पार्टनर का चुनाव बहुत सोच-समझकर करना चाहिए और आगे के हालात का सामना करने के लिए ख़ुद को तैयार रखना चाहिए। यदि हो सके तो इन परिस्थितियों से अपने को दूर ही रखना चाहिए ।
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