Jin ki Mohbbat - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत.. - 9

नूरी उसके पास ही रह गई l ओर उसे समझाने लगी ज़ीनत यहां कोई नहीं है तू डर मत ।
अपने घर में कोई आया था क्या जिसे तूने देखा ..? ज़ीनत बताओ मुझे ..? कोन था जो तुझे परेशान कर रहा है?"
ज़ीनत कुछ भी नहीं बताना चाहती थी वो तो उस बात को याद भी नहीं रखना चाहती थी कि उसने देखा क्या ? अब आगे।


भाग 9


ज़ीनत नूरी से साथ पूरी रात ऐसे पकड़ के सोई जैसे जैसे उसे कोई उठा न लेे जाएगा!"
उसका डर जाने का नाम ही नहीं ले रहा है l नूरी उसकी हालत देख कर बहुत परेशान थी।
ज़ीनत रात में कई बार डर के उठ जाती थी लेकिन उसे डर किसका है ?
जैसे-तैसे रात गुजर गई सुबह होते ही सगाई की तैयारियों में सब लग गए ।
नूरी ने ज़ीनत को संभाल ने के लिए सबा ओर उसकी सहेलियों को बुलाया ।
जिसे ज़ीनत का मूड ओर दिमाग ठीक रहे ओर ज़ीनत कल वाली बात याद ना रखे।
सबा ओर सारी सहेलियां आ गई, ज़ीनत के साथ मज़ाक मस्ती शुरू कर दी ।
अभी ज़ीनत थोड़ा ठीक मेहसूस कर रही थी उसका ध्यान अब कल की बात पर नहीं था।
वो सारी सहेलियों के साथ खुश थी l नूरी ने सबा को कल की बात बताई हुई थी ।
सबा सब को समझा के लाई थी कि ज़ीनत को बस खुश रखना है पूरा दिन उसके साथ रहना है ।
शाम होगी गई , अब ज़ीनत की ससुराल वाले ओर मेहमान आना शुरू हो गए ।
ज़ीनत को तैयार किया गया l ज़ीनत बहुत खूबसूरत लग रही थी , जैसे कोई परी ज़मीन पर आ गई हो।
अंगूठी की रस्म करने का जब टाइम आया ज़ीनत ओर शान को सामने लाया गया ।
ज़ीनत को देख शान अपनी ज़ुबान को रोक ना पया ओर बोल पड़ा ।
"माशाअल्लाह आपके बारे में जितना सुना था कम था…! आपको देख के पता चला कि आपकी तारीफ जितनी कि जाए कम है।
ज़ीनत शान की बात सुन कर मुस्कुराई ओर नज़रे झुका के बैठ गई।
शान की अम्मी ने उसे अंगूठी दी ओर कहा l
" बेटा ज़ीनत को अंगूठी पहना दो ।"
वहीं नूरी ने भी ज़ीनत को अंगूठी दीl पहले ज़ीनत ने अंगूठी पहना दी ।
अब शान ने अपना हाथ बढ़ा कर ज़ीनत का हाथ पकड़ा और अंगूठी पहनाई ।
सारी रस्में अच्छे से हो गई l लेकिन ज़ीनत को देख कर नूरी जल्दी उसके पास गई और उसे धीरे से हिलाते हुआ कहा ।
"ज़ीनत बेहोश हो गई है l"
रशीद खान और बाकी लोग भी घबरा कर आ गए ।
शान ने ज़ीनत को संभालते हुए कहाl
" इन्हे रूम में लेे जाना चाहिए यहा बहुत लोग है।"
शान -रशीद साहब नूरी को रूम में लेे आए ! सबकी जुबां पे यही बात थी l
"ज़ीनत को क्या हुआ है?"
सबा ने ज़ीनत को पानी पिलाते हुए उसके मुंह पर पानी डाला ज़ीनत होश में आ गई।
होश में आते ही ज़ीनत ने कहा l
" में यहां कैसे आ गई.? आप सब भी यहां है तो मेहमान चले गए क्या?"
नूरी ने कहा l
"सब यही है कोई कहीं नहीं गया और तुम आराम करो हम लोग मेहमान को देखते है।"
शान की अम्मी भी आ गई थी पूछा ज़ीनत को क्या हुआ है?
नूरी ओर सबा ने बात बनते हुए कहाl
" काम कि वज़ह से थकान हो गई ओर कुछ नहीं अभी ठीक है वो।
शान ओर उसकी अम्मी बाहर निकल आए सबा ज़ीनत के पास बैठी हुई थीं।
मेहमान सब जा चुके थे कुछ ही लोग घर में थे खाला फुफी मामू घर चलेे लोग थे ।
तभी ज़ीनत बात करते करते खिड़की तरफ देखने लगी l
देखते-देखते वो चीखने लगी बचाओ नहीं चले जाओ यहां से ।
ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगीl सब ज़ीनत की आवाज़ सुन कर रूम में आए l देखा ज़ीनत पागलों जैसे हरकते कर रही है ।
उसे निकालो मेरे रूम से , ओर अपनी आंखे बंद किए हुए है वो आंखे खोलना ही नहीं रही थी l
सबने बहुत कहा l
" ज़ीनत आंखे खोलो बेटा यहां कुछ नहीं है ! वो एक ही बात चिल्ला चिल्ला के बोल रही थी।
"इसे मुझे बचाओ इसे भगाओ यहां से ! मुझे इससे डर लगता है।"
सब लोग हैरान थे "कोन है जिससे ज़ीनत डर रही हैं?"

क्रमश: