vaishya vritant - 10 books and stories free download online pdf in Hindi

वैश्या वृतांत - १०

घर –परिवार –कथाएं –व्यथाएँ-लघुकथाएं

१ -संदूक

एक घर में आयकर वालों का छापा पड़ा. अधिकारी ने सब छान मारा .अंत में एक संदूक दिखा ,बूढी माँ ने अनुनय की इसे मत खोलो ,मगर संदूक खोला गया .उसमे कुछ सुखी रोटियों के टुकड़े थे ,जो माँ के रात-बिरात काम आते थे.आयकर अधिकारी रो पड़ा.

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२--स्मार्ट बहू

काम वाली नहीं आई थी ,सास ने जल्दी उठ कर सारा काम निपटा दिया.कुछ दिनों बाद फिर ऐसा ही हुआ.बहु कार लेकर गई अपनी सहेली के यहाँ से काम वाली को का र में बिठा कर लाई,काम कराया और वापस का र से छोड़ आई.

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३-त्यौहार

घर में बड़ा त्यौहार .भुआ ,बहन बेटी ,सब आई हुयी थी .विदा के समय भुआ को हल्का लिफाफा,बहन को साड़ी पर लिफाफा और बेटी के ससुराल के परिवार के लिए कपड़े और लिफाफे दिए गए.

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४-फ़ीस

बूढी माँ की मौत के बाद जवान बेटे ने बाप से कहा-पापा बच्चों की फ़ीस –टूशन के खर्चे बहुत बढ़ गए हैं,अपन ये मकान बेचकर टू बी एच के में शिफ्ट हो जाते हैं,जो बचेगा उस से बच्चे पढ़ लेंगे.बाप का सीधा जवाब था -

मैं यहाँ ठीक हूँ तुम तुम्हारा देख लो .

बेटा-बहू बाप से नाराज है.००००००

५-दान

विधवा बूढी माँ दान के लिए बेटे से कह रही थी ,इस बार कुछ ज्यादा ही खर्च होगा.बेटे ने कोई ध्यान नहीं दिया.

माँ चुप हो गई .

बाद में बेटे बहू बच्चे मलेशिया के लिए निकल गए.

माँ ताकती रह गयीं.

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६-विवाह

घर में विवाह था.

गृहपति ने कहा –कवंर साब आये तो किचन तक आने देना.बहनोई इसा को बैठक में बिठाना .फूफाजी के लिए बरामदे में बेंच रखवा देना. बड़े फूफाजी का खाना उनके घर ही भेज देना ,डोकरा कहीं यहीं टे बोल गया तो दिक्कत हो जायगी.

बूढी परदादी को बाहर मत निकलने देना सब इम्प्रेशन ख़राब हो जायगा.

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७- एक बूढ़ा औऱ गिलहरी

बर्फ गिर रही है। चारों तरफ बर्फ का समंदर है। पेड़ो पर पत्तियों पर सब तरफ बर्फ ही बर्फ। कभी रेत का समंदर देखा था,फिर पानी का समंदर और अब बर्फ का समंदर।

इस तेज बर्फानी मौसम में सामने वाले फ्लेट में एक बूढ़ा नितांत अकेला ,रोज उसे देखता हूं ,केवल सिगार पीने के लिए बाहर आता है,उसी समय उसे बाहर देख कर दो गिलहरियां इस मौसम में भी पास आकर उसे टुकुर टुकुर तकती हैं। बूढ़ा उन्हें मूंगफली के दाने डालता है, गिलहरी दाने लेकर भाग जाती है. यह रोज़ का किस्सा है गिलहरी आती है और बुढा उसे दाने डालता है. बर्फ अभी भी गिर रही है.

बूढे के एकांत ,अकेलेपन और उदासी का सहारा बन गयी है गिलहरी। एक चिड़िया भी आ गयी है.

गिलहरी की आँखों में चमक है, बूढ़े की आँखों में उदासी।

आज गिलहरी को डालने के लिए कुछ नहीं है। बूढ़ा ,गिलहरी चिड़िया तीनो उदास हैं। बर्फ़ अभी भी गिर रही है। मैं भी उदास हूँ.००००००

८-आदान- प्रदान

गाँव की एक शिक्षिका हर तरफ से प्रताड़ित होकर ट्रांसफर के किये मंत्रीजी के दरबार में हाज़िर हुई.मंत्री जी ने साफ कहा –पैसे तो मैं लेता नहीं ,शाम को फार्म हाउस आ जाना ,सुबह काम हो जायगा.मरता क्या न करता ,मास्टरनी ने वहीँ किया,सुबह जब लुटी पिटी फार्म हाउस से निकली ,तो देखा मुख्यमंत्री की कार से लगभग वैसी ही हालत में शिक्षा मंत्री की पत्नी उतर रहीं थी.

शिक्षिका में चहरे पर एक व्यंग्यात्मक मुस्कान तैर गयी.

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९-कवि की आत्मा

कवि को लम्बी बेरोज़गारी के बाद एक महानगर में उपसंपादकी मिल गयी.खुश होकर कवि महानगर में मकान ढूंढने लगा.बड़ी मुश्किल से एक पुराना मकान मिला.कवि जी सपरिवार शिफ्ट हो गए. मगर रात को ही कवि को लगा मकान में कुछ गड़बड़ है. नहाते समय कवि प्रिया ने भी कहा –कुछ अजीब अजीब आवाजें आती है.कुछ दिन निकले मगर मन में वहम घुस गया.एक बाबा से बात की .बाबा ने ध्यान लगाया और बताया –आपके पहले भी इस मकान में एक कवि थे उनकी आत्मा भटक रही है ,आत्मा की शांति जरूरी है,कवि ने उपाय पूछा ,बाबा बोले –

उनकी काव्य पुस्तक छपवाओ और रॉयल्टी मुझे दिलवाओ.कवि और कवि प्रिया दूसरा मकान ढूंढ रहे हैं.

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यशवंत कोठारी,८६,लक्ष्मी नगर ब्रह्मपुरी बाहर ,जयपुर-३०२००२

मो -९४१४४६१२०७