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अच्छाईयां – १८

भाग – १८

उस रात के हादसे से बच्चू के आदमी की जान चली गई थी इसलिए सूरज शहर से कुछ दिन दूर ही रहा | बच्चू और उसके गूँडे लड़की को कही से भी खोज निकालेंगे और उसके जरिए मुझ तक पहुँच शकते है इसलिए उसने अँधेरे में ही लड़की को उसके सही ठिकाने पर पहुंचा के वो तुरंत ही वहा से निकल चूका था | वह लड़की को खुद का नाम और पता भी नहीं दिया था और खुदने भी उसका नाम-पता भी नहीं पूछा था, क्युंकी सूरज जानता था की शायद वो लड़की को फिर से बच्चू के आदमी पकड़ ले तो वो खतरा भी हो शकता था |

आखिर सूरज शहर वापस आया | सूरज गुलाबो की बाईक भी वापस करना चाहता था और उस रात क्या हुआ ये सब उसे बताना चाहता था इसलिए वो गुलाबो को अकेले में मिलने हसीनाखाने पहुंचा | मगर गुलाबो के घर के बहार ही देखा की बच्चू कुछ आदमी लेकर उसके घर के अन्दर ही जा रहा था इसलिए उसके कदम रुक गए | बच्चू उसकी दूकान पे और घर पे बेख़ौफ़ आ जा रहे थे इसका मतलब ये था की वे दोनों एक दूसरे के बारे में सबकुछ जानते थे | गुलाबो और बच्चू दोनों यदी एकसाथ है तो उसदिन गुलाबोने उस लड़की को बच्चू के हाथो से क्यों छुड़ाया ? गुलाबो मुझे साथ दे रही है या मुझे कही फसा रही है ? ऐसे विचार सूरज के दिमाग से निकलने लगे |

सूरज देख रहा था की उसके दो आदमी गुलाबो के घर के बहार ही खड़े थे और वो किसी ओर को अन्दर जाने नहीं देते थे | सूरज को लगा की ये बच्चू और गुलाबो के बीच कुछ तो है....! गुलाबो मेरे बारे में सबकुछ जानती है मगर खुद के बारेमे मुझे कुछ नहीं बता रही है...! उस रात भी मैं उसके पास कई सवाल लेके गया था मगर इस लड़की को बचाने के चक्कर में वो खुद ही भूल गया था की गुलाबो को अपने बारे में पूछना था | गुलाबोने उस दिन कहा था की, , ‘सूरज, देख तुम इतने सालो बाद आये हो... ऐसा मत समझना की तुम ड्रग्स के चक्रव्यूह से नीकल गए हो...! अब तुम्हारी जिंदगी सीधेसादे सात सूरो जैसी नहीं है...!’ यानी गुलाबो ही जानती है की मुझे कैसे और किसने फसाया था उस चक्रव्यूह में....!

कुछ देर बाद बच्चू और उसके आदमी निकले तो वो भी चुपके से उसके घरमें घुस गया |

गुलाबो सूरज को ऐसे आते देखकर चौंक गई और बहार रास्ते वाले दरवाजे और खिड़की को बंध कर दिया | उसके रवैये से लगता था की वो डर रही थी या सूरज को दूसरो की नजरो से छीपाने की कोशिश कर रही थी |

‘इतने दिन कहा थे तुम ? और तुमने क्या किया उस लड़की का....? और वो आदमी कैसे मारा गया...?’ गुलाबो ने एकसाथ तीन सवाल किये |

सूरजने उसको जवाब नहीं दिया तो वो फिर से चिल्लाई और वही सवाल दोहराए | सूरज को लगा की गुलाबो उसकी कहानी जानने के लिए ज्यादा बेताब है तो वो कुछ देर चुप ही रहा |

‘यानी तुम मुझे बताना नहीं चाहते...?’ गुलाबोने आखरीबार पूछा |

सूरज उसकी आंखोमे देखने लगा और बोला, ‘ क्या बच्चू और उसके आदमी तुमसे मिलने आये थे ?’

‘वो भला मुझसे क्यों मिलेंगे ?...!!’ गुलाबोने तुरंत ही जवाब दिया |

सूरज को लगा की ये गुलाबो कई बाते छीपा रही है इसलिए उसने सामने सवाल किये. ‘देख गुलाबो.... मेरी जिन्दगी के कई राझ तुम जानती हो और वो मैं आज जानने आया हूँ | आज तुम नहीं मैं सवाल करूँगा...!!’ सूरज के उल्टे सवाल से गुलाबो कु छ कदम पीछे चली गई |

‘सूरज ये बात सिर्फ मुझे ही पता है की तूम उस लड़की को बचाने गए थे... और यदी बच्चू को पता चल गया तो....!!’ गुलाबो सूरज की आंखोमे देख के बोली |

‘यानी तुम मुझे धमकी दे रही हो...?’ सूरज गुस्से से चिल्लाया |

‘देख सूरज ये धमकी नहीं है मगर तेरे लिए चेतावनी है...!!’ गुलाबो सूरज को समजाने लगी |

‘देख मुझे पता है की कुछ देर पहले ही बच्चू और उसके आदमी तुम्हे मिलके यहाँ से निकले है | मुझे तुमसे और तेरे इस हसीनाखाने के रिश्तो में कोई दिलचश्पी नहीं है ....! उस दिन तुमने उस लड़की की बचाया और मुझे सारी बात बताई तो लगा की तुम्हारे अन्दर अभी भी अच्छाई भरी पडी है.... मगर आज बच्चू को तुम्हारे पास आते हुए देखा तो लगा की तुम ही बच्चू जैसे लोगो को बढ़ावा दे रही हो..... तुम भी आखिर तो बाजारू औरत ही हो न कैसे सच बोलोगी.....!!! ’ सूरज के मुंह से निकले शब्द गुलाबो को चीर के निकल गए |

‘बाजारू औरत’ शब्द सुनते ही वो सूरज को तेज नजरो के देखने लगी और वो गुस्से से चिल्लाई, ‘ हाँ मैं हूँ बाजारू औरत...! मेरी और पहचान भी क्या हो शकती है ? यदी तुम्हे मेरे साथ सोना है तो दाम बोलो वरना यहाँ से निकलो... तुम भी आखीर एक मर्द ही हो... तूम क्या समझोगे औरत को...? औरत मंदिर में हो तो उसको सन्मान और अपनी मजबूरी की वजह से ऐसे बाजार में आ गई तो उसका अपमान... आखिर हमें इस मोड़ पे लाने के लिए तो कोई न कोई मर्द ही जिम्मेदार है | ये तो उसदिन मुझे लगा की तुम इन मर्दों से अलग हो इसलिए वो लड़की बाजारू न बन जाए इसलिए मैंने तुम्हे चुना था... तुमने सही किया की उसको मार दिया... मगर तुम पे आनेवाली परेशानी मुझे पता है इसलिए तुम्हे चेतावनी दे रही हु... बाकी तुम जो समझो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता....!’ गुलाबो भी गुस्से में थी |

सूरज गुलाबो का गुस्सा देखकर शांत हो गया और बोला, ‘देख गुलाबो मैं तुम्हे बताने ही आया था की उस लड़की की मैंने कहाँ छोड़ा है मगर तेरे घर बच्चू को देखकर लगा की तूम भी मेरे साथ कोई गेम खेल रही हो... तुमने गलत कहा की बच्चू यहाँ नहीं आया था... मुझे तेरी बातोमें कोई और दिलचश्पी नहीं है..... मुझे ये जानना है की ड्रग्स सप्लाय में मुझे किसने फसाया और अभी भी ऐसा कौन सा राझ है जो मेरा पीछा कर रहा है....?’

गुलाबो अब कुछ्देर खामोश रही और फिर बोली, ‘सूरज... तुम चाहो तो मुझसे दूर भी जा शकते हो.... मगर एक बात मैं यकीन से कह शकती हूँ की तुम्हे मेरी जरुरत पड़नेवाली है | मुझे पता था की तुम्हारी कोलेज में सब लोग तुम्हे नफ़रत करने लगे थे | सरगम भी तुम्हे शायद भूलने लगी थी | मुझे जब पता चला की तुम वापस आ रहे हो तो मैंने सरगम को मेसेज भेजा था की सूरज आ रहा है.... और वो तुम्हे लेने के लिए बम्बई एरपोर्ट आई थी मगर वो तुमसे मिल ही नहीं पाई...!!’

‘क्या उस दिन सरगम मुझे लेने के लिए एरपोर्ट आई थी...?’ सूरज गुलाबो की ये बात सूनके शांत हो गया था |

‘हाँ.. मैं देखना चाहती थी की सरगम अभी भी तुमसे प्यार करती है या नहीं.... ? और मेरा अंदाजा सही निकला | वो उस दिन भी तुमसे मिलने चली आई तो मुझे लगा की सरगम अभी भी तुम्हे प्यार करती है |

सरगम की बात आई तो सूरज का गुस्सा ठंडा हो गया और बोला, ‘मैं भी उससे फिर मिलने भी नहीं गया... मुझे भी उनसे मिलाना है... मगर उसने शादी करली तो फिर उससे मिलके भी क्या फायदा...? उसने कहा था की वो मेरा इंतज़ार करेगी... मेरे लिए वो ही आखरी सहारा थी... मगर....!!’

गुलाबो सूरज को सुनती रही और बोली, ‘ सूरज तूम जो देख रहे हो उसको यकीन कर रहे हो, तुम मुझे इस हसीनाखाने में देखते ही मुझे बाजारू औरत कहते हो.... सरगमने शादी करली तो वो बेवफा है ऐसा समझ लेते हो... मेरे घर बच्चू के आने जाने से मुझ पर इल्जाम लगा देते हो... !! सूरज जो दिखता है वैसा होता नहीं है.... और जो होता है वो वैसा दिखता भी नहीं है... तुम्हे सारी बाते समजाना मुश्किल है मगर इतना समझ लो की तुम्हारी वजह से...’ गुलाबो कुछ आगे बताना चाहती थी तभी किसीने दरवाजे पे डोरबेल बजाई और गुलाबो रुक गई |

सूरज को छिपने का ईशारा किया, वो अन्दर रूम में चला गया और गुलाबो दरवाजे पर गई | कोई आदमी गुलाबो को बेग देने आया था और उसकी आवाज सूरज को सुनाई देती थी | वो गुलाबो से कह रहा था की, ‘ वो इतने दिनों कहा गायब हो गया किसी को पता नहीं और बोसने कहा है की उसको किसी भी हाल में ढूंढो... और पता करो की....!!!’ इतने लफ्जों के बाद वो चुप हो गया था, सूरज समजा शायद गुलाबोने कुछ ईशारा किया होगा |

थोड़ी देर बाद फिर से आवाज आई, ‘कुछ दिन में बोस आनेवाले है... उनको रिझल्ट चाहीये और अनवर कुछ देरमें इधर तुमसे मिलाने आ रहा है |’

गुलाबोने दरवाजा बंध किया और सूरज बहार निकला | ‘ अब बताओ मैं इन आँखों देखी सच्छाई पर विश्वास करू या नही ? तुमने अभी ही कहा था की जो दिखता है वैसा नहीं होता मगर अभी मैंने देखा उसका सही सच क्या है..? वो मैं ही हूँ जिसे ये तुम्हारे या अनवर के आदमी ढूंढ रहे है ? और अनवर ये तो नहीं जिसने मुझे जेल से निकलने के बाद किडनेप किया था....?’

‘तुम कैसे जानते हो अनवर को....? और तुम्हे किडनेप किया..? किसने.... ?.... कहाँ ?’ गुलाबो बात को गोल गोल घुमा रही थी और उसके हाथमें उस आदमीने एक स्कूल बेग दी थी उसको संभालते हुए सामने रख दी |

‘क्या है उसमे...? और अनवर इसे ही लेने आता होगा...!!!’ सूरजने ऐसे कहा की गुलाबो के चहेरे से पसीना नीकल आया |

‘सूरज तुम अभी निकलो यहाँ से... अनवर यहाँ आ रहा है और तुम्हे यहाँ देखेगा तो हमारे लिए खतरा हो शकता है |’ गुलाबो सचमुच डर रही थी |

‘तो आने दो अनवर को... उस वक्त तो मेरी आँखों पर पट्टी थी जो उसको देख नहीं पाया था... आज देख भी लू उन्हें....!!’ सूरज बैखौफ खड़ा रहा |

‘सूरज प्लीझ... तुम्हारी कुछ बाते तुम्हे और अनवर के मिलने से पहले मुझे कहनी जरुरी है इसलिए तुम यहाँ से चले जाओ और मैं वादा करती हूँ की तुमसे तुम्हारी सच्चाई जरुर बताउंगी मगर एक बात याद रखना मैं जो भी कर रही हूँ तुम्हारे भले के लिए...!!’ गुलाबो की आंखोमे सच्चाई दिख रही थी | ने आखिर सूरज को विश्वास दिलाया तो वो पिछले दरवाजे से जाने लगा |

गुलाबोने उसको देख के कहा , ‘ सूरज हो शके तो छोटू का ख्याल रखना कल्लू उससे ड्रग्स सप्लाय करवा रहा है और उसे पता भी नहीं है की वो क्या कर रहा है...! वो कल तुम्हे कालीमाँ के मंदिर के पास मिलेगा | कुछ भी हो वो कही पकड़ा न जाए उसका मुझे डर है...!’ सूरजने देखा की गुलाबो को आँखोंमें और बातो में सच्चाई थी इसलिए वो केवल उसे इशारा करके निकल गया |

सूरज चुपके से निकल तो गया मगर ये बात वो जान गया था की गुलाबो आखिर वही बात उसे कहती थी जो वो बताना जरुरी समजती थी... उस दिन उस लड़की को बचाने मुझे भेजा और आज छोटू को.... वो आखिर चाहती क्या है...?

सूरज हसीनाखाने से दूर जा रहा था तभी एक बड़ी कार उधर से गुज़री और गुलाबो के घर के सामने खडी रही | उस गाडीसे पहले दो बोडिगार्ड निकले जिनके आँखों पर काला चश्मा था और कमर में बन्दूक लगाईं हुई थी | जब बोडिगार्डने ईशारा किया तो अन्दर से काला लंबा सूट पहना हुआ इक लंबा आदमी निकला | सूरज उससे काफी दूर था | उसने इधर उधर नजर की और उसका आधा चहेरा सूरज को दिखाई दिया | वो तुरंत गुलाबो के घरमें दाखिल हो गया |

‘तो ये है अनवर......!!!’ सूरज का दिमाग तेजी से चलने लगा |

क्रमश : .....