Jinnat ki dulhan - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन्नात की दुल्हन - 16

जिया का मन घृणा से भर गया था!
दूर-दूर काले घने अंधेरे में वह पेड़ डरावना नजर आ रहा था!
जिस पर एक लंबी पंखों वाला बडा पक्षी बैठने की नाकाम कोशिश कर रहा था!
क्योंकि वृक्ष पर कुछ था जो उस पर बार-बार झपट रहा था!
न जाने क्यों एक पल के लिए जिया को लगा जैसे वह डरावना पक्षी उनका ध्यान भंग न करना चाहता हो..?
पर अब जिया रुकने वाली नहीं थी!
मन में ठान कर उसने अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाए!
अमन की हार्टबीट काफी बढ़ गई थी!
मौत से डर कर पीछे हटने वालों में से जिया नहीं थी!
हॉस्पिटल से उठकर आई जिया के बुलंद हौसले को देख कर अमन काफी हैरान था!
जिन्नात को परास्त करना इतना आसान भी नहीं था वह कभी भी किसी भी रूपमे सामने आ सकता था.!
जिया फिर से जिन्नात की कब्र तक पहोंच गई..!
अमन ने जब उसे कब्र की और आगे बढते देखा तो वह भी किसी बात की परवा कीये बगैर उस तरफ भागा..!

"मुझे जरुरत है तेरे जिंदगी को तु
दाव पर ना लगाया कर
बरसो के बाद सुकून है दिल को
मेरे दिल को ना जलाया कर..
.....

वही शायराना अंदाज वही लहेजा..! वहा रवानगी..!
खलिल की आवाज सुनते ही दोनो चौके.!
जहाँ गाडी खडी थी उधर से खलिल चला आ रहा था..!
दोनो उसे हैरानगी से देख रहे थे..!
ठीक गाडी की बगल मे खलिल की कार को जिया ने देखा..!
खलिल को देखकर जिया अपना आपा खो बैठी.. उसके बदन मे जैसे चिटीयां रेंग ने लगी..
बदन मे उठी मीठे कम्पनो की लहेर ने उसे झकझोर कर रख दिया!
वह भागी खलिल की और..!
रुक जाओ जिया..! ये अच्छी बात नही है..! रुक जाओ प्लीज..!
जिया पर जैसे नशा सवार था.!
खलिल को मिलने की तडप थी..! उसे जैसे कुछ भी सुनाई नही दे रहा था..!
अमन हताश जरूर हुआ मगर उसने अपना काम अधूरा नहीं छोड़ा..!
जैसे ही उसने हड्डियों के ढांचे को हाथ लगाया की इधर जिया के बिल्कुल करीब पहुंच चुका खलील जैसे गधे के सिंग की तरह गायब था.!
जिया को जैसे झटका लगा..!
खलिल की गाडी भी गायब हो गई..!
जिया समज गई..!
जिन्नात उसे अपने झांसे मे लेने मे सफल हो गया था!
जिया अमन से काफी दुर अकेली खडी थी..!
अमन ने जैसे ही जिन्नात की हड्डियों को बाहर खींचा तभी
एक आकस्मिक हुए शोर से दोनो चमके!
वह घने पेड़ परसे चमदघाडों का एक बड़ा काफिला एक साथ उडा
हवा में काला स्याह अंधेरा छा गया..!
इतने सारे चमकगाड अमन और जिया ने कभी अपनी जिंदगी में देखे नहीं थे.!
दोनों खौफ जुदा होकर आत्मा को देखने लगे!
चमदगार्डों का सारा काफिला इस वक्त जिया के ऊपर मंडरा रहा था!
सारा माजरा समझ में आते ही अमन चीखा..!
भागो वहां से जिया..! अपनी जान बचाओ..!
बौखलाया हुवा अमन जिया के इर्द-गिर्द मंडराने लगे चमदगाडो को देख कर गबरा गया था!
यह चमदगाड कहीं जिया के बदन को नोंच नोंच कर खा ना जाए..!
जिया हड़बड़ा कर वहां से भागी!
चमदगाडो का काफिला डरावनी चीखों के साथ उसके पीछे भागा!
कुछ कुछ चमक गार्डों ने जिया पर हमला बोल दिया था
अमन छलावे की तरह वहां से कुदा
दौड़कर उसने जिया को अपने शरीर से ढक दिया! अमन ने जैसे ही जिया को अपनी भुजाओं में जकड़ लिया था तब ढेर सारे चमदगाड अमन के शरीर पर चिपक गए
उसकी पीठ को नोंचने लगे थे!
अमन की चीखें जिया का कलेजा चीर रही थी!

जब चमदगाडो ने हमला बोला जिया अपने चेहरे को दोनों हाथों से ढक कर बचाने में लगी थी!
मगर !!
मजाल थी जिन्नात की जो अमन के हौसले को वो डगमगाता !
अमन ने तेजी से जिया को अपनी भुजाओं में समेट लिया!
जब अमन की चिखे भयानक रात के सन्नाटे में गूंजने लगी!
उस वक्त जिया अपने आप को काफी बेबस महसूस कर रही थी!
न जाने क्यों अमन को कराहता देखकर तड़प उठी थी!
एक पल के लिए उसे ऐसा लगा जैसे उसके बदन से कोई रूह निकालकर ले जा रहा है!
अमन के दूर हो जाने का डर उसके दिमाग पर हावी हो गया था!
जिया को इस बात का एहसास हो गया था! कि वह अमन के बिना अधूरी थी!
अचानक उसके दिमाग की बत्ती जली
उसने तुरंत ही कंधे पर लटक रहे पर्स से अपना मोबाइल निकाला!
और फटाफट उसकी टॉर्च लाइट जलाई!
जिया ने जैसा सोचा था वैसा ही हुआ!
वैशी चमदगाडो का पूरा काफिला अचानक जैसे गायब हो गया!
जिया ने टॉर्च लाइट से अमन की पीठ को देखा!
अमन के शर्ट मे जगह-जगह पड़े फोडो से रक्त निकल रहा था!
बहुत जख्मी हो गया था अमन..!
जिया से वह देखा ना गया उसका ह्रदय भर आया!
उसने अमन के माथे को चुम लिया! फीर उसको दबोच कर अपने सीने से लगा लिया!
अमन के चेहरे पर सुकून था!
क्यों ना हो!
वह जिया को बचाने में सफल हो गया था!
अपनी जान की उसे परवाह नहीं थी!
सॉरी जिया..!
मैं अपने मकसद में सफल हो जाता पर तुम पर हमला हुआ तो मैं खुद को रोक नहीं पाया!
मैं सब कुछ समझ गया हूं!
जिन्नात अलग अलग तरीके अख्तियार कर के वार कर रहा है!
मैं उसके इरादों को भांप गया हूं!
उसको कब्र में दफन होने से कोई बचा नहीं सकता!
तु देख जिया!
चाहे कुछ भी हो जाए उसको दफन करके ही मैं लौटुंगा!
अमन का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था!
जिया एक शब्द भी बोल नहीं पा रही थी!
अब उसका मन जैसे उसे रोकना चाहता था !
वह काफी हद तक डर गई थी!
अमन को वह अब खोना नहीं चाहती थी !
"नहीं अमन अब रहने दो हम वापस चले जाते हैं!"
"पागल हो ??जिन्नात हड़बड़ा गया है !
वो हम दोनों पर हमला नहीं कर सकता ! इसलिए बार बार पैंतरा बदल कर सामने आता है!
तू चल मेरे साथ ! तु अब मेरे साथ ही रहना! इस बार उसका काम तमाम करना है !
अमन अपने दर्द की परवाह किए बगैर जिया का हाथ पकड़कर आगे बढ़ा!
उस वक्त जिया सहमी हुई निगाहों से इधर उधर देख रही थी!
अमन जब उस कब्र तक वापस पहुंच गया तब जियाने कब्र में दिखाई दे रही हड्डियों को धिक्कार से देखा!
अमन तेजी से वापस कब्र में झुका!
जैसे ही अमन में हड्डियों के ढांचे को उठाया सामने उंची उंची धासमे कुछ सरसराहट हुई!
उस तरफ ध्यान दिए बगैर अमन तेजी से हड्डियों के कंकाल को लेकर नई कब्र की ओर भागा कि तभी!!!
एक मोटे काले भद्दे से दिखने वाले नेवले ने छलांग लगाकर अमन पर हमला बोल दिया!
नेवला इतना खूंखार था कि अमन और जिया चिख उठे!
नेवला अमन के पैरों को चिपक गया था
अमन गुस्से से नीचे बैठ गया !
अपनी मुठिया में भींस कर नेवले को खींच रहा था!
पर वह अपनी जगह से टस से मस नहीं हो रहा था!
बासमती चावल जैसे नुकीले दांत अमन के गोश्त में उतर गए थे!
जब अमन ने जोर से उसे खींच कर जमीन पर दे पटका तब.. !
अमन के पैर पर धारदार ब्लेड से किसी ने वार किया हो ऐसे दो लंबे चिरे पड़ गए थे!
जिया अभी भी आंखें बंद करके खड़ी थी!
उसको मालूम ही नहीं था कि अमन ने और एक हमले को नेस्तनाबूद कर दिया था!
हड्डियों के कंकाल को दोबारा उठाकर नई कब्र पर वो कूद गया!
जब वह कंकाल लेकर कूदा था तब उसके सामने आग का गोला नजर आया था!
अमन एक पल के लिए भी ठिठका नहीं था!
जैसे ही हड्डियां जमीन में पड़ी अमन ने मिट्टी से पूरा घड्ड़ा भर दिया!
एक तूफान जैसे शांत हो गया था!
हवाएं गायब हो गई पेडो ने हिलना-डूलना बंद कर दिया!
सारा माहौल जैसे किसी के सम्मोहन से मुक्त हो गया था!
अमन के कंधे पर सर रख के जिया चल रही थी!
काफी घायल होने के बावजूद अमन की जिंदगी करवट बदल रही थी!
एक सुहानी सुबह का आगाज हो रहा था! जिंदगी जैसे खूबसूरत लगने लगी थी!
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जिन्नात का खात्मा हुए लगभग दो महीने हो चुके थे!
जिया ने जान की बाजी लगाकर जिन्नात को कब्रमें गाड़ दिया था!
उस बात की खलील को खुशी थी और हैरानी भी इतनी अधिक थी की जिया अमन के साथ शादी की तैयारियों में जुट गई थी!
अचानक गुलशन के पेट में दर्द शुरू हुआ
उल्टियां हो रही थी!
डॉक्टर से चेकअप करवाने पर जो बात उन्होंने बताई तो खलील के पैरों तले से जमीन खिसक गई!
गुलशन को दूसरा महीना चल रहा था!
खलील को याद था काफी टाइम तक उसने गुलशन को हाथ लगाया नहीं था तो फिर..!
उसको महसूस हो रहा था कहीं दूर वादियों में जिन्नात के हास्य की गूंजे सुनाई दे रही थी!
अपने पेट पर हाथ रखते हुए गुलशन खौफ जदा हो गई थी!

( समाप्त)
कहानी के अंत में
मेरे प्यारे दोस्तों कोई भी राइटर जब कंटिन्यू आपके साथ नहीं हो पाता तब उसकी कोई ना कोई मजबूरियां होती है!
वह कभी नहीं चाहता कि उसका कोई भी फैन रीडर्स खफा हो जाए..! छोटे छोटे टूकड़ों में ही सही लेकिन कहानी को अंजाम तक पहुंचाया!उस बात का सुकून है मेरे दिल में!
आपने जिन्नात को भरपूर सराहा आप सब का धन्यवाद!
काफी दोस्तों ने बोला है की मैं हिंदी में लिखता रहूं इसलिए एक नई कहानी के साथ बहुत जल्द हाजिर होऊंगा!
और वादा करता हूं कि वह कहानी बहुत खास होगी!
आप इसी तरह अपना प्यार बनाए रखें!
- साबीरखान