सुखे पत्ते को हवाओं से क्या डर,
तुटकर अपनो से गये हैं वो बिखर;

ले जाये हवा अपने साथ या फिर,
चली जाय युंही अकेला छोड़ कर;

जीने की कोई चाह नहीं है बाकी,
अपनो को छोड़ वैसे ही गये हैं मर;

यही तो #वास्तविक जीवन है दोस्तों,
जीया तो क्या जीया अकेले जीकर;
#वास्तविक

Hindi Poem by વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ. : 111495383

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