अपनी बेगुनाही कि गवाही देते हो,
कत्ल मेरा करके तुम
मुझे ही हाल-ए- हवालात करते हो
यार तुम भी ना कमाल करते हो...
तुमसे बेखबर 'कैफियत' है मेरी,
बेफिक्र से तुम लगते हो
'रुखसत' होकर कहते हो,दुआ करते हो
यार तुम भी ना कमाल करते हो...
कुछ अहसासों के तारों की रातों तले थी
नामों निशां मिट गये 'इश्क़' की वसीहत के,
ये जो अब चिट्ठियों में मेरा मकान तलाश करते हो
"बेकार है", रहने दो......
'मैं शमशान हूँ', क्यूँ मेरा इतंजार करते हो
यार तुम भी ना कमाल करते हो......
#M -kay