कदर ही है तो,
खबर क्यूँ नहीं रखते
निभाने कि वजह ना रही तो,
इस रिश्ते को 'ताक' पर क्यूँ नहीं रखते

अफवाह समझ लिया उड़ती खबर को तुम ने
'हम खैरियत से नहीं है'
यकीं नहीं हम पर तो ऐसा करो,
राजदार क्यूँ नहीं रखते

तुम्हें समझ नहीं आई बैचैनी मेरे अलफाजों की,
जज्बातों को मेरे तुमने फिजूल समझ लिया
कचरा फैला है मेरे टूटे ख्वाबों का,
ऐसा करो 'डस्टबिन क्यूँ नहीं रखते'.....
#M -kay

Hindi Shayri by M-kay : 111462018
M-kay 4 years ago

Sukriya sahab... I'm a little writer 😊

Brijmohan Rana 4 years ago

बेहतरीन ,वाहहहहहहहहहहहह

The best sellers write on Matrubharti, do you?

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