#सभ्य
कहाँ ढूंढे रे बंदे राम को,
कलयुग की धरा पर है खड़ा ।

इंसान भी मिल जाये तो बहुत है,
देखे इंसान बहुत है शैतान के वेश में ।

सभ्यता की क्या आशा करू,
इंसानियत भी दिख जाये तो बहुत है।
Mahek Parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111461095
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

यर्थाथ सत्य का चित्रण...

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