कागज की कश्ती थी

पानी का किनारा था

खेलने की मस्ती थी

ये दिल भी आवारा था .

कहा आ गए इस

समझदारी के दल दल में

वो नादान बचपन भी

कितना प्यारा था .

#बचपन

#ShivaN

Hindi Shayri by Poorav : 111460299

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