दर्द को कहना 
उसके साथ - साथ बहना होता है 
नदी की तरह 
कभी शब्‍दों को शब्‍द दर शब्‍द
विष का पान कराना 
जैसे अमृत हो जाना हो 
फिर मुहब्‍बत का !
... 
जाने कितनी किस्‍मों में 
तकसीम़ हुई वह
कभी दरिया कभी नदिया 
कभी धारा कभी लहर 
कभी बूंद 
जब वह तेरे नयनों से बही  थी 
#अंतिम बार !
.... 
यह कैसा द्वंद है 
भावनाओं का  भावनाओं से 
जहां अभिलाषा है 
बस मिट जाने की 
चाह नहीं कुछ पाने की !!!

#अंतिम

Hindi Poem by Seema singhal sada : 111392188

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