बे वजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है
मौत से आँखे मिलाने की ज़रूरत क्या है

सब को मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल
यूँही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है

ज़िन्दगी एक नेमत है उसे सम्भाल के रखो
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है

दिल बहलाने के लिये घर में वजह हैं काफ़ी
यूँही गलियों में भटकने की ज़रूरत क्या है

🖋️गुलजार साहब 🖋️

Hindi Shayri by Pravin Ingle : 111392108

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