My Touching Poem...!!!
आज तो कट ही गई जैसे तैसे
भूखे बच्चों की भूख मिटी कैसे
पिछले सप्ताह मिला था जैसे
इस बार भी देगा कोई ख़ैरात
का पैकेट जीते उम्मीद पे जैसे
लोकडाउन किया मजबूर एसे
रोज़-दहाड़ीं मज़ुरी छीना जैसे
पहनने को कपड़े कम हो जैसे
उस पे तड़पते बच्चें अनाथ जैसे
या रब फैलाए ना कभी हाथ एसे
कम खाते थे पर ख़ुद्दारी की जैसे
आज फैलें है हाथ भिखारीके जैसे
अब तो रहम व कर्म कर फ़लकसे
फ़रिश्ता कोई निज़ात दे वाइरससे
तूं चाहे चुटकी में ख़त्म करें न कभी
था कातिल कोरोंना वाइरस जैसे..!!
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