तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है ,

तीर पार कान्हा से दूर राधिका - सी है..

रात की उदासी को याद संग खेला है...,

कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला है..!!

- कुमार विश्वास

Hindi Shayri by Parmar Geeta : 111384261

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