रह गई अपूर्ण उनकी वो ख्वाहिशें,
जिन्हें हम पूर्ण न कर सकें।।
करना था दूर उनके हर दर्द को,
पर हम उनकी खुशि की वजह न बन सकें।।
दूर है आज वो हमसे,
जिनकी वजह हम ही है बन बैठे।
चाहते तो थे उनका हर ख्वाब परिपूर्ण करना,
पर खुद के ही उसूलों के आगे हार बैठे।।

#पूर्ण

Hindi Shayri by Tasleem Shal : 111373924

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now