भटकता रहा मन दर-बदर
पर कहीं बसेरा ना हुआ..
मुद्दतों तरसते रहे रौशनी के लिए,
अंधेरा छाया ही रहा, पर सवेरा ना हुआ..
खुशियां भी आयी कभी पल-दो-पल के लिए..
वक्त ठहरा तो सही पर मेरा ना हुआ..

Hindi Shayri by Sarita Sharma : 111370602

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