बीत जाएंगे ये दिन भी,
और बदल जायेगा वक़्त भी..
धूमिल होंगे कई रिश्ते,
उम्मीदों के तूफान में..
मुरझा जाएंगी कई यादें,
वक़्त की दोपहर में..
एक दिन खत्म होंगे हम भी,
जैसे पतझड़ में सूखे पत्ते गिरते हैं..
और मिट्टी में मिल जाते हैं..
या कोई हवा उड़ा ले जाएगी,
और छोड़ देगी किसी देहलीज पर,
अनजानों के बीच अंजाने सफर में..
फिर से मिटने के लिए....
#रिश्ता