दोस्ती
कितनी हसीन थी वो जिन्दगी
जब हम साथ थे
कितनी खूबसूरत थी वो राहे
जब हम साथ चलते थे
कितने पागल थे हम
एक दूजे हसी के खातिर खुद पागल बनते थे
इतने अझिज थे तुम कि
छोडना पडा तुम्हे तुम्हारी खातिर
ये खुदा मेरे यार नु भेजना पैगाम
अगली बार नहीं छोड़ेंगे तुम्हे तुम्हारी खातिर👭
Krupali Kapadiya