हुई है जब से उल्फ़त
उनके रूख़सारों पर फैली लाली से
जमाना बिन कहे
हमारा नाम जान जाता है

लबों पर है ठहरा
कातिल चुप्पी का पहरा
निगाहों के गिरने उठने के अंदाज से
पैगाम दिल जान जाता है

जुबाँ नई नई है मोहब्बत की दोस्तों
दिल की धड़कन
नाम पढ़ना उनका अदब से
महफिलों में जान जाता है...

Hindi Shayri by Neepa Mehta : 111329690

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