हम तों मिलने के बहाने ढुढ़ते रहे।
हरदिन मेरी गली से वो गुजरते रहे।
कभी नजरे उठाकर इनायत की होती।
तो और किसी बहाने की जरुरत नहीं होती।

Hindi Thought by Suryakant Majalkar : 111326665

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