हाय ये दरीचा....
ये मेरे लिए एक फ़साना हो गया
पहली दफ़ा यहीं से देखा था तुझे
फिर तो रोज़ शर्दियों में धूप सेकना बहाना हो गया
मिल गयी थी नज़रे भी तुम्हारी इसी दरीचे से
इश्क की पतंग की डोर यहीं से खींचे थे
फिर रोज़ मिलना मिलाना हो गया
ये दरीचा एक फ़साना हो गया
lamho_ki_guzarishey...
Trisha R S... ✍️

Hindi Poem by Trisha R S : 111326575
Trisha R S 4 years ago

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