छुपता सूरज या बादल मन चला होने पागल
तुझको पुकारे हर पल यारा
पत्तों पे बूंदे जैसे सुबह को ढूंढे जैसे
ढूंढू हर पल में तुझको यारा
अब खुदा मिले ना मिले
खुदाया तुझको माना हैं
इश्क़ के आगे हैं झुका
आज ये पल भी दीवाना हैं
पल कैसा पल, पल में जाए फिसल
चाह के भी पकड़ पाउ ना

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