बनकर के सांसे तू मेरी धडकनों में बहता है,
मेरी हर गजल हर इक नज़्म में तू ही तो रहता है
मेरे शहर वालों ने तुझे देखा नहीं कभी मगर,
तू बहुत हसीन है ये मेरा सारा शहर कहता है..

✍️सत्येंद्र....

Hindi Shayri by Satyendra prajapati : 111309864

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now