आसमान ये मेरा है, मै आसमान का परिंदा हूं,
थका हुआ हूं हारा नहीं, मरा नहीं अभी जिंदा हूं,

रुका नहीं करते हैं राही कभी किसी के रोकने से,
क्या हाथी रुका है कभी कुत्तों के भौकने से..
यारों कल तक जो मुझे कहते थे नादान,
आज वही कहते हैं, मै अपनी नादानी पर शर्मिंदा हूं..
आसमान ये मेरा है मै आसमान का परिंदा हूं,
थका हुआ हूं हारा नहीं मरा नहीं अभी जिंदा हूं

माना बनती हैं हाथो में लकीरें खुदा की रहमत से,
मगर बदलते देखी है अक्सर मैंने तकदीरेे मेहनत से,
जिस किस्मत का तुझको नाज है, देखना है मुझसे कब तक नाराज़ है
आखिर जिस खुदा का तू है उसी का मै भी बंदा हूं..
आसमान ये मेरा है मै आसमान का परिंदा हूं,
थका हुआ हूं हारा नहीं मरा नहीं अभी जिंदा हूं,

मुझे सहारा ना दो तुम मुझे आसमान पर चढ़ने दो,
ये मेरी मुझसे ही लड़ाई है मुझे अकेले ही लड़ने दो,
जरा सी आंधियों से डर के दुबक के बैठे है उनके बीच मेरा क्या काम
तूफानों के बीच है घर मेरा मै आसमान का बाशिंदा हूं,
आसमान ये मेरा है मै आसमान का परिंदा हूं,
थका हुआ हूं हारा नहीं मरा नहीं अभी जिंदा हूं...

Hindi Shayri by Satyendra prajapati : 111303438

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