ग़ज़ल

मोहब्बत का ज़माने में कोई मौसम नहीं होता।
ये वो जज्बा है जो बस कर दिलों में कम नहीं होता।।

मिली है आपको मंजिल, मुबारकबाद देता हूं।
नसीवों में सभी के पर हंसी आलम नहीं होता।।


खुदा को भूल जाते लोग, पाकर प्यार दुनिया में।
अगर इंसान के हिस्से में है जो ग़म नहीं होता।।


लहू का रंग बिखरा कर , रखें महफूज़ सरहद को।
चुनौती उनको दे दुश्मन में , इतना दम नहीं होता।।


वतन की आबरू रावत मुझे है जान से बढ़ कर।
ज़हन से दूर भारत का कभी परचम नहीं होता।।

रचनाकार
भरत सिंह रावत भोपाल
7999473420
9993685955

Hindi Poem by Bharat Singh Rawat Kavi : 111292155

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