*आईना आज फिर,*

*रिशवत लेता पकड़ा गया..*

*दिल में दर्द था और चेहरा,*

*हंसता हुआ पकड़ा गया...*

Hindi Shayri by Shaba Shaikh : 111291015
Harsh Parmar 4 years ago

कोन समझ सकता है दिल के दर्द को यहां तो हजारों बैठे है दिल को जख्म देने वाले।

Harsh Parmar 4 years ago

"तजुर्बे ने एक बात सिखाई है की, एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है !!"

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