याद तेरी जब भी आई वफ़ा रोती रही
आँखों से बरसा वो बादल के इन्तहा होती रही
तेरे मिलने की दुआ के लिए जब भी हाथ उठाए मैंने
मेरी इस मासूम ख्वाहिश पे न जाने क्यों दुआ रोती रही।
@खान।

Hindi Shayri by Abbas khan : 111290919

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