एक सफ़र हमे भी चुना था।

तेरे घर का रास्ता जो तरह करना था।
कैसे गुजरे तेरे रह गुजरे ऐ दिल को समझाना था।
तुम्हें देखकर या अनदेखा कर निकले ऐ
फैसला करना था।
गर देखेगे तो तो कभी वहाँ से जा नही पाएंगे,
ऐ लंबा सा लगता सफ़र तय करना था।

Hindi Blog by D S Dipu શબ્દો નો સાથ : 111289927

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