ना जाने किस मोड़ पे ये जिंदगी हैं
डर लगता आगे बढ़ने से , पीछे जा नहीं सकते ये एक मजबूरी हैं !
क्या छूट गया हैं पीछे ? जो सब कुछ खाली सा लगता हैं
पाना क्या हैं मुझे ? ये जानना भी अब बहूत जरूरी हैं !!
सायद समझदार नहीं हु जो समझ नहीं आती हर बात मुझे,
पर क्या हर बात को समाझना इतना जरूरी हैं ??
क्या करू मैं समझदार होकर इतना जबकि,
किसी को हँसाने के लिए समझदार नहीं बेवक़ूफ़ होना जरूरी हैं