परदानशीं हैं मेरे दिलबर
आयें कैसे रौनक ए महफिल में
डरतें हैं बस न जाये कोई
हंसी सा चेहरा इस दिल में
निगाहों से कत्ल करते है
वो हर बार कुछ इस तरह
उस पर भी ये आरजू है
कि उन्हे गिने न कोई कातिल में!!

Hindi Shayri by S Kumar : 111281963

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