आज वैराग्य बांधे तू बैठा यहाँ ,

कल तलक तू नजारों में संगीन था ।

बांध कर डोर रिश्तों की तू था जहाँ ,

साथ पाकर जहां में तू रंगीन था ।

दो घड़ी में जो बदले नजारें यहाँ ,

इश्क़ नजरों में तेरे क्यों तौहीन था । ।
#Shivan

Hindi Shayri by Poorav : 111280266

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now