क्यों तू खुद को हारा बुजदिल समझता है
क्यों तू अपने हाथों की लकीरों से उलझता है,
अगर कुछ करने की जिद उसे पाने का हौसला हो ,
क्या तुझे मालूम नहीं फिर क़िस्मत का लिखा भी बदलता है..

Hindi Good Morning by Satyendra prajapati : 111278877

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