इन नयन के नीर सूखे, पंक्षी भी उड़ जाएं भूखे, हृदय की करुणा बताओ, क्यूँ हुई लाचार हो,
बीच नदिया में हो जैसे, टूटी सी पतवार हो।।
गिरके भी इतना गिरे, पहुँची रसातल में गिरावट, सिसकती हैं बेटियाँ, शर्मिंदा है खुद पर धरातल, चीखें सारी जल गईं,
तुम क्यूँ हुई अंगार हो, बीच नदिया में हो जैसे, टूटी सी पतवार हो।। -राकेश सागर

Hindi Song by Rakesh Kumar Pandey Sagar : 111276452

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