मेरी भी ख्वाहिश थी कि इस चाँदनी रात मैं तुम आओगे..
आ कर इस ख़ुशनुमा पल मैं चलती हवा के साथ झूला झूलाओगे....

क्या खबर थी तुम्हारी राह यही खत्म हो जाएगी..
और हमारा दामन यू छोड़कर दूर चले जाओगे....

- परमार रोहिणी " राही "

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111271070

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